मंदिर के पुजारी ने बताया कि वह एक सरकारी मंडी में 100 क्विंटल गेहूं बेचना चाहते थे। उन्होंने दूसरों की मदद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था। इसके बाद जब फसल बेचने के लिए मंडी पहुंचे, तो उनसे उस देवता का आधार कार्ड मांगा गया, जिसके नाम पर भूमि पंजीकृत है।
उत्तर प्रदेश के बांदा से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिले के अट्टारा तहसील के कुरहरा गांव के एक मंदिर की जमीन में उगाए गए गेहूं को बेचने के लिए सरकारी खरीद केंद्र पर गए एक पुजारी को देवता का आधार कार्ड दिखाने को कहा गया। घटना की चारों ओर चर्चा है।
उत्तर प्रदेश के बांदा से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिले के अट्टारा तहसील के कुरहरा गांव के एक मंदिर की जमीन में उगाए गए गेहूं को बेचने के लिए सरकारी खरीद केंद्र पर गए एक पुजारी को देवता का आधार कार्ड दिखाने को कहा गया। घटना की चारों ओर चर्चा है।
उत्तर प्रदेश के बांदा से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिले के अट्टारा तहसील के कुरहरा गांव के एक मंदिर की जमीन में उगाए गए गेहूं को बेचने के लिए सरकारी खरीद केंद्र पर गए एक पुजारी को देवता का आधार कार्ड दिखाने को कहा गया। घटना की चारों ओर चर्चा है।
पुजारी ने बताया कि इसके बाद उन्होंने अनुमंडल दंडाधिकारी (एसडीएम) सौरभ शुक्ला से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि आधार के बिना पंजीकरण नहीं किया जा सकता है और इसलिए उनके कार्यालय ने इसे रद्द कर दिया है। वहीं, एसडीएम ने कहा कि पुजारी को देवता का आधार कार्ड दिखाने के लिए नहीं कहा गया था, लेकिन उन्हें प्रक्रिया के बारे में बताया गया।
इस बीच, जिला आपूर्ति अधिकारी, गोविंद उपाध्याय ने कहा कि नियम स्पष्ट हैं कि मठों और मंदिर से उपज नहीं खरीदी जा सकती है। खरीद नीति में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा, पहले खतौनी (भूमि रिकॉर्ड) दिखाना स्वीकार्य था, लेकिन अब पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। रजिस्ट्रेशन के लिए उस व्यक्ति का आधार कार्ड होना जरूरी है जिसके नाम पर जमीन रजिस्टर्ड हुई थी।
पुजारी ने बताया कि वह पिछले कई सालों से उपज बेच रहे हैं। पिछले साल उन्होंने सरकारी मंडी में 150 क्विंटल उपज बेची थी, लेकिन कभी इस तरह की स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। बरहाल पुजारी चिंतित है। उन्होंने कहा, “अगर हम मंडी में फसल नहीं बेच सकते हैं तो हम खर्चे को कैसे पूरा करेंगे और अपना भोजन कैसे करेंगे?”