लखनऊ: आज जारी एक नई रिपोर्ट से यह खुलासा होता है कि शिक्षा संस्थाओं के आस-पास तंबाकू उत्पादों की बिक्री और प्रचार करके तंबाकू कंपनियां भारत में आठ साल के छोटे बच्चों से लेकर युवाओं को बाकायदा निशाना बना रही हैं।
अध्ययन के दौरान देश भर में 885 ऐसे बिक्री केंद्र चिन्हित किए गए जो भारत में शिक्षा संस्थाओं के 100 गज के घेरे में होने के बावजूद तंबाकू उत्पादों की बिक्री करते हैं। इनमें 42 दिल्ली / नोएडा में हैं। इन केंद्रों पर यह भी देखा गया कि सिगरेट, बीड़ी और बिना धुंए वाले तंबाकू उत्पाद जैसे खैनी, पान मसाला आदि बच्चों की कैंडी और चॉकलेट के पास ही रखे थे और बच्चों की नजर में आने लायक थे। इन दुकानों से पैकेट खोलकर एक सिगरेट की भी बिक्री हो रही थी और स्कूली बच्चों को तंबाकू उत्पाद मुफ्त में तथा छूट पर पेश किए जा रहे थे।
अध्ययन से पता चला कि आईटीसी, ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको, फिलिप मॉरिस (गॉडफ्रे फिलिप्स) जैसी कंपनियां इन और ऐसे अन्य जोरदार तरीकों का उपयोग कर रही हैं। इसका शीर्षक था, बिग टोबैको, टाइनी टारगेट्स (बड़ी कंपनियां सूक्ष्म शिकार)।
इस अध्ययन का आयोजन इस बात के सबूत जुटाने के लिए किया गया था कि कैसे भारत सरकार के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा 2003) की प्रमुख कमजोरियों का लाभ उठाकर तंबाकू कंपनियां युवाओं और बच्चों को निशाना बना रही हैं तथा बिक्री की जगह पर प्रचार और उत्पाद का प्रदर्शन जारी है।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “भारत में रोज 5500 बच्चे तंबाकू का उपयोग शुरू करते हैं और यही आगे चलकर इनके आदी हो सकते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हमारे कानून मजबूत हों और जुर्माने का प्रावधान हो ताकि तंबाकू कंपनियां आदत डालने वाले अपने उत्पादों की बिक्री और उनका प्रचार हमारे बच्चों और युवाओं के बीच नहीं कर पाएं।
इस अध्ययन के लिए कुल 42 शिक्षा संस्थाओं की जांच की जांच की गई। वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली / नोएडा में ऐप्प के उपयोग से यह जांच की।
अध्ययन के प्रमुख नतीजे:
नई दिल्ली और नोएडा में 92.86% बिक्री की जगह पर फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल के तंबाकू उत्पाद थे जबकि 54.76% बिक्री की जगहों पर ब्रिटिश अमेरिकन तंबाकू उत्पाद थे और 64.29% पर जापान टोबैको इंटरनेशनल के तंबाकू उत्पाद थे।
नई दिल्ली और नोएडा में 88.10% बिक्री की जगहों पर इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के उत्पाद थे जो भारतीय कंपनियों में सबसे लोकप्रिय है।
• नई दिल्ली और नोएडा में 69.05% बिक्री की जगहों पर तंबाकू उत्पाद प्रदर्शित थे और यह बच्चे की आंख की ऊंचाई के स्तर पर थे। (करीब 1 मीटर ऊंचा).
नई दिल्ली और नोएडा में 54.76% बिक्री के बिन्दुओं पर सिगरेट इस तरह से प्रदर्शित थे कि निर्धारित स्वास्थ्य चेतावनी के लेबल छिप गए थे।
नई दिल्ली और नोएडा में 40.48% बिक्री के बिन्दुओं पर सिगरेट बच्चों की कैंडी और चॉकलेट आदि के साथ प्रदर्शित थे ताकि बच्चों को आकर्षित किया जा सके।
नई दिल्ली और नोएडा में, 97.62% विक्रेता एक सिगरेट बेचते हैं।
उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट श्री संजय गुप्ता ने कहा भारत में तंबाकू और इसके उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। इससे एक बड़ा बदलाव आएगा। हम सरकार से अपील करते हैं कि कोटपा 2003 में संशोधन किया जाए ताकि बच्चों और युवाओं को तंबाकू से होने वाले नुकसान का शिकार होने से बचाया जा सके।
उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग में एडिशनल डायरेक्टर सुश्री मंजू शर्मा ने कहा हमारी शिक्षा संस्थाओं के आस-पास जोरदार बिक्री और प्रचार के प्रयासों के लिए तंबाकू उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। हमारी शिक्षा संस्थाएं तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक तंबाकू उद्योग हमारे बच्चों और युवाओं को अपने घातक उत्पाद खरीदने के लिए बहलाता रहेगा।
ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे, इंडिया से यह पता चलता है कि भारत में 13 –15 साल के स्कूली बच्चों में 14.6% तंबाकू का सेवन करते हैं। लड़कों में 11% धूम्रपान तंबाकू के दूसरे उत्पादों का सेवन करने वाले पाए गए। लड़कियों में 6% बगैर धुंए वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करती हैं जबकि 3.7% धूम्रपान करती हैं। सभी तंबाकू उत्पादों से वार्षिक आर्थिक लागत का अनुमान 2017-18 में 177,341 करोड़ होने का अनुमान था जो भारत के जीडीपी के 1% के बराबर है।
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किसी भी तरह की पूछताछ के लिए कृपया निसंकोच संपर्क करें : विक्रम मिश्रा, वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया, मोबाइल – 9161414451