महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह आए राजनीतिक भूचाल से उठी सियासी धूल बैठने का नाम ही नहीं ले रही है। और अब खबरें आ रही हैं कि उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस को अपने (बीजेपी के) विधायकों को सरकार में एनसीपी के शामिल होने का नफा-नुकसान समझाना पड़ रहा है।
अजित पवार और एनसीपी के अन्य नेताओं को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करने के बाद एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना के विधायकों की बेचैनी तो सामने आ ही गई थी। और, अब बीजेपी विधायकों की अहजता भी सामने आने लगी है कि मंत्रिमंडल के अहम पद तो अजित पवार गुट की एनसीपी को दिए जा रहे हैं तो उनके लिए क्या बचा है।
ध्यान रहे कि कई महीनों से शिंदे गुट के विधायक इन्हीं पदों की मांग करते रहे हैं। संभवत: इसी तरफ इशारा करते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा था कि “जिन गद्दारों ने उनके पिता (उद्धव ठाकरे) की पीठ में छुरा घोंपा था, अब हाथ मलते रह गए हैं।”
अब ऐसी ही आवाज़े बीजेपी खेमे से उठने लगीं तो उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस को उन्हें समझाने के लिए मजबूर होना पड़ा। बताया जाता है कि फडणविस ने इन विधायकों को समझाया है कि उन्हें जल्द ही अच्छा ‘पुरस्कार’ दिया जाएगा। सूत्रों ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि दक्षिण मुंबई के एक क्लब में फडणविस ने बीजेपी विधायकों के साथ बैठक की, जिसमें नाराज विधायकों ने सवाल उठाया कि ऐसी पार्टी जिसकी विचारधारा हमेशा संदिग्ध रहेगी, उन्हें बीजेपी विधायकों के मुकाबले क्यों अहम पद दिए जा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि फडणविस का जवाब था कि, “हम इसे अनदेखा नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे नरेंद्र मोदी की नीतियों के प्रति आकर्षित हुए हैं और हमसे सम्पर्क कर रहे हैं।”
लेकिन फडणविस के इस जवाब से बीजेपी विधायक संतुष्ट नजर नहीं आए, जिसके चलते मजबूरन फडणविस को कहना पड़ा, “विपक्ष को कमजोर करने के लिए कुछ तो करना ही था, इसीलिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा और आपमें से बहुत से लोगों को उसमें जगह दी जाएगी।”
पर, इस जवाब से असंतुष्ट विधायक शांत होते नजर नहीं आए। अलबत्ता इस स्वीकारोक्ति के बाद कि विपक्षी एकता को तोड़ने की जरूरत है, यह तो स्पष्ट हो गया कि बीजेपी को महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के खिलाफ एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी विधायकों का मानना है कि विपक्षी एकता पहले की तरह मजबूत बनी हुई है और अल्पावधि और दीर्घावधि में उन्हें ही नुकसान हो सकता है।
इस बीच खबरें आईं कि फडणविस ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि शिंदे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। इन कयासों को आदित्य ठाकरे ने भी हवा दी। लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि यह बैठक उस कवायद का हिस्सा थी जिसमें दोनों गुटों (बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट) के विधायकों को मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर शांत किया जा सके।
इसके बाद शिंदे, फडणविस और अजित पवार ने एक साथ महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले का दौरा किया। इस कार्यक्रम में तीनों नेता एक मंच पर नजर आए। माना जा रहा है कि यह भी नाराज विधायकों को शांत करने और शिंदे के इस्तीफों की सरगोशियों पर मिट्टी डालने की कोशिश भर ही था।
Source: navjivan