एक अकेले मुख़्तार ना जाने क्या-क्या थे. यही वजह है कि आजादी के बाद भारत की समाजवादी सियासत का मंजरनामा बगैर मुख़्तार अनीस का जिक्र किए कभी मुकम्मल नहीं होगा
अहमद खबीर, ज़मन नक़वी
आज समाजवादी नेता और उत्तर प्रदेश पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मुख़्तार अनीस की जयंती है। एक छात्र नेता, सत्ता विरोधी, लेखक ,विद्रोही तेवर के व्यक्तित्व, आपातकाल के बागी, कुशल संगठनकर्ता, समजवादी पार्टी पार्टी के सस्थांपक सदस्य ,उत्तर प्रदेश के अलग-अलग विभागों के मंत्री और इन सबसे अलग एक सादगी भरा जीवन जीने वाले समाजवादी आंदोलन के सच्चे सिपाही, एक अकेले मुख़्तार ना जाने क्या-क्या थे। यही वजह है कि आजादी के बाद भारत की समाजवादी सियासत का मंज़रनामा बगैर मुख़्तार अनीस का ज़िक्र किए कभी मुकम्मल नहीं होगा। .
आपातकाल के आंदोलन में मुख़्तार अनीस के योगदान को कोई भुला नहीं सकता। उन पर मीसा जैसी धाराएं लगाई गईं और गिरफ्तारी कर जेल में डाला गया लंबे संघर्ष और जेल यात्रा के बाद 77 का वो दौर आया जब जनता पार्टी से वो अपना पहला चुनाव लड़े। उनकी छवि और व्यक्तित्व लोकप्रिय रहा। पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की और फिर लगातार वो आगे बढ़ते रहे। उनके काम उनकी छवि को ऊंचाई दे रहे थे और वो गांजर की उस तस्वीर को बदल रहे थे जिसको बदलने को उन्होंने ठानी थी। वो प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा बन चुके थे। 977-1978 जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में उत्तर प्रदेश के डिप्टी पशुपालन मंत्री रहे 1978-1980 होम गार्ड एवं नागरिक सुरक्षा राज्य मंत्री भी रहे 1889 में जनता दल की तरफ से मुलायम सिंह की कैबिनेट में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रहे 96 में उन्होंने समाजवादी पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत कर संसद पहुंचे। उनको सही मायनों को जन नेता कहा और माना जा रहा है। वो लोहिया के उस कथन को सिद्ध करते हैं जिसमे वो कहते थे कि “चुनावी हार जीत से ज़्यादा ज़रूरी हमारे सिद्धांत हैं जो जनता तक पहुंचने चाहिए।
मुख़्तार अनीस युवजनों को हमेशा प्राथमिकता देकर आगे बढ़ाने का काम करते थे ,उनका मत था राजनीति जाति और धर्म से उठकर विचारधाराओं पर की जानी चाहिए। एक साधारण किसान परिवार से निकला हुआ समाजवादी एक समय इस देश के युवजनों का नेतृत्व करेगा किसने सोचा था लेकिन ये सच हुआ । उनके बारे में कहा जाता है वो बेहद संघर्ष शील व्यक्तित्व था,जो सदेव धरनों और जेल जाने को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया करते थे । उनके नेतृत्व में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का चुनाव स्मरणीय है।
यूं तो मुख़्तार की सियासी जिंदगी में उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन हाल के दिनों की बात करें तो उत्तर प्रदेश का सबसे लम्बा रोड ब्रिज “चहलारी घाट” उन्हीं की कोशिशों से बन पाया है उसके लिए उन्होंने रेउसा से लखनऊ पैदल मार्च किया था
आज मुख़्तार अनीस को याद करने का दिन है, उनके सियासी शिष्य उन्हें नमन कर रहे हैं, उनके चित्र पर माल्यार्पण कर रहे हैं मुख़्तार अनीस को सच्ची श्रद्धांजलि उनके विचारों को आगे बढ़ाकर और मुख़्तार के रास्ते पर चलकर ही दी जा सकती है.
Courtesy: Jamiatimes.in