जयपुर। सचिन पायलट कांग्रेस की तीन सदस्यीय सुलह कमेटी की अब तक रिपोर्ट नहीं आने से बेहद नाराज दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जो लोग मिलकर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए दिनरात मेहनत कर रहे थे, उनकी अनदेखी की जा रही है।
सचिन पायलट ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। आमतौर पर पायलट सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर करने के लिए नहीं जाने जाते हैं। पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने उनसे किए वादे पूरे नहीं करने पर 14 अप्रैल को भी पत्रकारों से बात करते हुए हल्की नाराजगी जताई थी।
उन्होंने कहा था कि पांच राज्यों के चुनाव भी अब लगभग संपन्न होने को है ऐसे में कांग्रेस की तीन सदस्यीय सुलह कमेटी की अब तक रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं। सुलह को 10 माह से अधिक का समय बीत चुका है। ऐसे में कांग्रेस में एक बार फिर विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं।
पायलट ने स्पष्ट शब्दों में कहा- “10 महीने हो गए हैं और उनसे किए वादे पूरे नहीं किए हैं, मुझे समझाया गया था कि सुलह कमेटी त्वरित गति से एक्शन लेगी, लेकिन राज्य सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं।
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए रात-दिन मेहनत की और अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है” सचिन पायलट ने 14 अप्रैल को कहा था “कई माह पहले एक कमेटी बनी थी” “मुझे विश्वास है कि अब और ज्यादा विलंब नहीं होगा, जो चर्चाएं की थीं और जिन मुद्दों पर आम सहमति बनी थी, उस पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई होनी चाहिए”
सचिन पायलट के ताजा बयान से एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी सियासत गर्मा गई है।
सचिन पायलट का बयान ऐसे वक्त आया है, जब उनके एक समर्थक हेमाराम चौधरी ने उनके इलाके के विकास कामों की अनदेखी के मुद्दे पर 18 मई 2021 को ही इस्तीफा दे दिया था। हेमाराम चौधरी इसके बाद 24 मई को तीन दिन तक धरने पर बैठ गए थे।
पिछले दिनों पायलट कैंप के पीआर मीणा के द्वारा भी सार्वजनिक रूप से जब एक बयान दिया गया था, तब अशोक गहलोत कैंप की तरफ से उनका बयान बदलाव आया गया था।
पिछले विधानसभा सत्र के दौरान सदन के भीतर चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और पूर्व मंत्री रमेश मीणा के द्वारा सरकार के द्वारा सदन के भीतर भी भेदभाव करने के आरोप लगाए गए थे।
जुलाई-अगस्त 2020 में हुई थी बगावत
इससे पहले 13 जुलाई 2020 को सचिन पायलट खेमे के द्वारा अशोक गहलोत की सरकार के साथ बगावत कर दी गई थी। सचिन पायलट का कैंप हरियाणा के मानेसर में रहा था, जबकि राज्य की अशोक गहलोत सरकार राज्य की दो होटलों में लगातार एक महीने तक कैद रही थी।
बाद में करीब 1 महीने बाद दोनों गुटों के बीच कांग्रेस आलाकमान के द्वारा समझौता करवाया गया था। अहमद पटेल, अजय माकन व केसी वेणुगोपाल की 3 सदस्य कोर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया था, जिसके द्वारा पायलट कैंप के लोगों के साथ तुरंत प्रभाव से सत्ता और संगठन में न्याय करने की बात कही गई थी।
Courtesy: Ram Gopal Jat / National Dunia