देश में छाए कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के दौरान संकट की इस घड़ी में लोग जिस तरह एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, उसे देखने के बाद ‘ये है इंडिया…’ जुबान से बरबस ही निकलता है। लॉकडाउन में एक या दो नहीं कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जो एकता, सामाजिक समरसता और सौहार्द की मिसालें बन गई हैं। इसमें हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी ऐसी मिसाल कायम की है, जो लंबे समय तक याद की जाएंगी। उनके काम ने हर दिल को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। आइए शहर में बीते दिनों हुई ऐसी ही कुछ घटनाओं का जिक्र आपसे साझा करते हैं…।
मुस्लिम युवकों ने महिला के शव को दिया कंधा
शहर के हॉट स्पॉट बाबूपुरवा में बुधवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मानवता और सांप्रदायिक एकता की मिसाल पेश की। मुस्लिम युवाओं ने हिंदू महिला की अर्थी को कांधा दिया बल्कि रीति के अनुसार राम नाम सत्य है.. बोलते हुए कब्रिस्तान तक ले गए। मुंशीपुरवा निवासी भरत जेके जूट मिल में काम करते थे, उन्होंने बताया कि साले संजय के लापता होने के बाद 90 वर्षीय सास सुखदेवी साथ रहती थीं। पिछले कुछ दिन से वह बीमार थीं। मंगलवार रात अचानक उनका निधन हो गया।
भाई और अन्य रिश्तेदारों को जानकारी दी लेकिन लॉकडाउन और रेड जोन एरिया होने के कारण कोई नहीं आ सका। घर में भाई और भतीजे राजेश को मिलाकर सिर्फ तीन पुरुष सदस्य ही थे। इलाके में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को जानकारी हुई तो मो. शरीफ, मो. नसीम, इमरान अली, हाजी आफाक खां, मो. उमर, मो. वसीम, मो. वसीक, मो. लतीफ, मो. नौशाद, मौ. तौफीक आ गए। सभी ने परिवार के साथ मिलकर अंतिम संस्कार की तैयारी की। किसी ने अर्थी सजाई तो किसी ने फूल और कफन का इंतजाम किया। इसके बाद मुस्लिम युवाओं ने शव को कंधा दिया और राम नाम सत्य बोलते हुए बाकरगंज कब्रिस्तान ले गए। यहां उन्हें दफनाया गया, इस दौरान सभी ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया। भरत ने बताया कि इलाके में कई हिंदू परिवार भी रहते हैं लेकिन कोरोना की डर की वजह से कोई नहीं आया।
अनजान युवक का गार्ड ने किया अंतिम संस्कार
शहर में रहकर नौकरी करने वाले आगरा निवासी युवक की मौत होने पर बीते शनिवार को फैक्ट्री के गार्ड ने अंतिम संस्कार किया था। पनकी साइट नंबर चार की प्लास्टिक पाइप बनाने वाली फैक्ट्री के गार्ड गंगागंज निवासी राजेश मिश्र ने बताया कि आगरा के कालिंदी विहार निवासी अमन गोयल (27) फैक्ट्री में कर्मचारी था। अमन के परिवार में एक बहन कविता है, जो राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में ब्याही है। होली की छुट्टी के बाद 21 मार्च को अमन लौट आया था। लॉकडाउन शुरू होते ही बाकी कर्मचारी तो किसी तरह अपने घरों को चले गए थे लेकिन पैसे न होने के कारण अमन नहीं जा सका था।
अकेला होने से वह डिप्रेशन में था और छह अप्रैल को अचानक बीमार पड़ने पर सीएचसी से दवा दिलाई थी। दो दिन बाद तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे उर्सला में भर्ती कराया था, जहां शुक्रवार शाम अमन की मौत होने की सूचना मिली थी। शहर में अमन का काेई अपना नहीं था तो उन्होंने उसकी बहन कविता को फोन किया। लॉकडाउन होने के कारण वह भी शव लेने नहीं आ सकीं। बहन के कहने पर पोस्टमार्टम के बाद उन्होंने अंतिम संस्कार करके अस्थियां गंगा में प्रवाहित कीं। थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि गार्ड ने अंतिम संस्कार कराया।
दिव्यांग वृद्ध का पुलिस ने किया अंतिम संस्कार
समाज के लोग ही नहीं पुलिस भी अपनी फर्ज अदायगी की मिसाल कायम कर रही है। लॉकडाउन में कोरोना से जंग में निडर होकर अपने कर्तव्य का पालन कर रही है। कानपुर नगर से सटे गंगापुल पार शुक्लागंज में शांति नगर निवासी 75 वर्षीय दिव्यांग मोहन शरण अग्रवाल अपने बेटे अमित के साथ रहते थे। अमित ने बताया कि चाट का ठेला लगाकर परिवार का पालन पोषण करता है लेकिन लॉकडाउन की वजह से परिवार आर्थिक संकट में आ गया है। हालांकि भोजन वितरण व्यवस्था के चलते परिवार को लंच पैकेट व राशन तो मिल रहा लेकिन घर में जमा पूंजी खत्म हो गई है।
पिता काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और बीते मंगलवार को उनका निधन हो गया। घर में पैसे न होने की वजह से अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी लेकिन नहीं मिली। इसपर उसने 112 डायल करके पुलिस से मदद की गुहार लगाई। कुछ देर बाद गंगाघाट कोतवाल सतीश कुमार गौतम मौके पर पहुंचे और हालात देखकर उनका भी दिल पसीज गया। उन्होंने खुद पैसे देकर कफन आदि मंगवाकर अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराई। फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए बेटे के साथ पुलिस कर्मियों को भेजकर वृद्ध का अंतिम संस्कार कराया।
source: Jagran.com