अपने गुट में असंतोष और खुद के इस्तीफे की खबरों के लिए लिए सीएम एकनाथ शिंदे ने दूसरों पर ठीकरा फोड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें पता है कौन ऐसी खबरें प्लांट कर रहा है।
महाराष्ट्र की सत्ता में एनसीपी के बागी नेता अजित पवार और उनके साथियों को शामिल किए जाने से शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट में खलबली मची हुई है। यही वजह है कि अपने गुट में बगावत की आहट से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बेचैनी बढ़ गई है। सीएम शिंदे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके गुट में सबकुछ ठीक चल रहा है। अपने गुट के विधायकों में असंतोष की खबरों के बीच उन्होंने अपने विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि उनके गुट में सबकुछ ठीक चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे विधायकों में कोई असंतोष नहीं है और हम मिलकर एनसीपी के साथ काम करेंगे।
अपने गुट में असंतोष और खुद के इस्तीफे की खबरों के लिए सीएम एकनाथ शिंदे ने दूसरों पर ठीकरा फोड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें पता है कौन ऐसी खबरें प्लांट कर रहा है। सीएम शिंदे ने यह नहीं बताया कि आखिर इस तरह की खबरें कौन फैला रहा है? ऐसे में सवाल यह है कि आखिर यह खबर कहां से आई कि शिंदे गुट के विधायक अजित पवार और उनके साथियों के सत्ता में शामिल होने से नाखुश हैं? सवाल यह भी है कि आखिर शिंदे गुट के विधायक अजित पवार एंड कंपनी के आने से क्यों नाखुश हैं?
शिंदे गुट में असंतोष की खबर कहां से आई?
अजित पवार और उनके साथियों को महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल किए जाने से शिंदे गुट के विधायक नाराज हैं, यह खबर हवा हवाई नहीं है, न ही इस खबर को किसी ने प्लांट किया है, जैसा कि सीएम एकनाथ शिंदे बता रहे हैं। शिंदे गुट के विधायकों में असंतोष की जानकारी खुद शिंद गुट के नेताओं ने ही दी है। बुधवार को शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि राजनीति में जब भी हमारा प्रतिद्वंद्वी हमारे साथ आना चाहता है तो हमें उन्हें शामिल करना पड़ता है और बीजेपी ने यही किया। लेकिन एनसीपी नेताओं के साथ आने के बाद हमारे नेता नाराज हैं। क्योंकि एनसीपी के शामिल होने के बाद हमारे कुछ नेताओं को मनचाहा पद नहीं मिलेगा। यह सच नहीं है कि हमारे सभी नेता एनसीपी के हमारे साथ आने से खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमने सीएम और डिप्टी सीएम को भी इसकी जानकारी दे दी है और उन्हें इस मुद्दे को हल करना होगा।
शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के नेता संजय शिरसाट यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि हम हमेशा से एनसीपी और शरद पवार के खिलाफ रहे हैं। शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को मोहरा बनाकर सरकार चलाई। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री होकर भी हमारा नहीं था। हमारा विरोध जायज है। हम पहले भी उद्धव ठाकरे को यही कहते थे कि एनसीपी पार्टी का साथ छोड़ें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस मुद्दे का हल निकाल लेंगे। शिरसाट के इन बयानों से साफ है कि शिंदे गुट के विधायकों में नाराजगी है। दूसरी बात यह कि शिंदे गुट में असंतोष की खबर को किसी ने प्लांट नहीं किया है, बल्कि शिंदे गुट के नेताओं ने ही असंतोष की खबर को सभी के सामने उजागर किया है।
शिंदे गुट के विधायक नाराज क्यों हैं?
अब सवाल यह है कि आखिर शिंदे गुट के विधायक अजित पवार एंड कंपनी के महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल होने से नाराज क्यों हैं? तो इसका जवाब यह है कि जब शिवसेना को बीजेपी ने दो हिस्सों में बांट दिया था और एकनाथ शिंद के साथ मिलकर राज्य में एनडीए सरकार का गठन किया था, उस समय इसे बीजेपी और एकनाथ शिंदे ने विचारधारा की लड़ाई नाम दिया था। बीजेपी ने कहा था कि शिवसेना और बीजेपी की विचारधारा एक है। विचारधारा के खिलाफ जाकर उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार का गठन किया था। एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमारी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है, और हम हमेशा से बीजेपी के साथ जाना चाहते थे न कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ।
अब शिंदे गुट के विधायकों और जानकारों का सवाल यह है कि अगर शिवसेना को विचारधारा के लिए दो हिस्सों में बांट दिया गया था तो अब फिर उसी एनसीपी के साथ मिलकर सरकार क्यों चला रहे हैं? शिंदे गुट के नाराज विधायकों के सामने सवाल यह है कि अब विचारधारा आखिर कहां गई? यही सवाल बीजेपी विधायकों के सामने भी है।
दूसरी बात यह है कि जिस समय शिंदे गुट के विधायकों ने असली शिवसेना से बगावत की थी, तब उसकी एक वजह अजित पवार भी रहे थे। उस समय कहा गया था कि शिंदे गुट के विधायकों को अजित के वित्त मंत्री रहते समय फंड्स नहीं मिलते थे जिस वजह से विकास कार्य रुक जाते थे। लेकिन अब क्योंकि वहीं अजित पवार एनडीए के साथ आ गए तो शिंदे गुट के विधायकों में असंतोष की खबरें आने लगी हैं। शिंदे गुट के विधायकों के सामने सवाल यह भी है कि जिसके खिलाफ राजनीतिक जमीन पर और सरकार के अंदर लड़ाई लड़ी और असली शिवसेना से बगावत की, उसी पार्टी के नेताओं के साथ आखिर कैसे काम करेंगे?