रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी
नव विकसित कुशीनगर हवाई अड्डे के उद्घाटन से भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को बढ़ावा मिलेगा और इसके पूर्वी पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।
श्रीलंका से 100 बौद्ध भिक्षुओं को लेकर आई उद्घाटन उड़ान।
लुंबिनी (नेपाल), सारनाथ और बोधगया जैसे कई महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थलों के बीच में होने की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर का यह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बौद्ध पर्यटन सर्किट का केंद्र है। नालंदा, श्रावस्ती और कपिलवस्तु आदि अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल भी इसके करीब हैं।
धार्मिक तीर्थ यात्रा का यह सर्किट भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का एक प्रमुख तत्व रहा है। वस्तुत: यह सर्किट बड़ी बौद्ध आबादी वाले दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भारत के करीब लाने में मददगार है।
उद्घाटन समारोह में शामिल हुए 12 देशों के राजनयिक:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुशीनगर हवाईअड्डे के उद्घाटन के मौके पर मंगोलिया, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, भूटान, कोरिया गणराज्य, नेपाल और जापान सहित 12 देशों के राजनयिक उपस्थित हुए। इस अवसर पर उनके साथ विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी थे।
श्रीलंका से आई पहली उड़ान:
पहली उड़ान के तौर पर श्रीलंकाई एयरलाइंस की एक उद्घाटन उड़ान कुशीनगर हवाई अड्डे पर उतरी, जिसमें 100 बौद्ध भिक्षुओं और श्रीलंका के मंत्रियों का एक बड़ा दल शामिल था। इस दल में श्रीलंका के खेल मंत्री, नमल राजपक्षे भी शामिल थे। वे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के भतीजे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे हैं। उन्होंने महापरिनिर्वाण मंदिर में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों की चर्चा करते हुए नमल राजपक्षे ने प्रधानमंत्री मोदी को पहली बार अंग्रेजी, सिंहली और तमिल में अनुवादित भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की। एक ट्वीट में उन्होंने कहा श्रीलंका को भारत से मिला सबसे बड़ा उपहार बौद्ध धर्म है!
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा बौद्ध धर्म के उद्गम स्थेल के रूप में भारत की अनूठी विरासत को उजागर किया है। ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और भारत के बिल्कुल करीब के पड़ोसी देशों पर ध्यान प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति के प्रमुख पहलू रहे हैं और बौद्ध धर्म की मौजूदगी इन दोनों ही पहलुओं का एक प्रमुख तत्व रही है।