अमेज़न बेस्टसेलर गुलाबी खंजर का तीसरा लोकार्पण समारोह आज लखनऊ में कविशाला के कार्यक्रम आग़ाज़ में आयोजित किया गया। इस आयोजन में प्रसिद्ध दास्तानगो और लेखक डॉ. हिमांशु वाजपेयी तथा वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा मौजूद रहे।
गुलाबी खंजर के लेखक दिलीप पांडेय और चंचल शर्मा ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और किताब के ऐतिहासिक महत्व व उसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की। ऐतिहासिक फिक्शन श्रेणी में आने वाली इस पुस्तक ने पिछले कुछ महीनों में साहित्यिक हलकों में काफी चर्चा बटोरी है। अक्टूबर में भोपाल में इसकी घोषणा के बाद, नवंबर में साहित्य आजतक में इसका कवर लॉन्च किया गया। इसके बाद दिसंबर में अमेज़न पर प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध होते ही, मात्र 18 घंटों में यह ऐतिहासिक फिक्शन श्रेणी में पहले स्थान और ओवरऑल बुक कैटेगरी में तीसरे स्थान पर पहुंच गई।
लखनऊ में आयोजित इस लोकार्पण समारोह में प्रतिष्ठित अतिथियों ने पुस्तक के विषय और उसकी लेखन शैली पर अपने विचार साझा किए। लेखक दिलीप पांडेय ने पुस्तक के शीर्षक और उसके ऐतिहासिक संदर्भों पर प्रकाश डाला, जबकि सह-लेखिका चंचल शर्मा ने बताया कि यह पुस्तक पाठकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसमें मौजूद सशक्त महिला किरदारों की भूमिका और उनके महत्व पर भी चर्चा की।
वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा ने गुलाबी खंजर की अनूठी कहानी कहने की शैली की सराहना की और इसे इतिहास, सस्पेंस और रोमांच का एक अद्भुत मिश्रण बताया, जो पाठकों को अंत तक बांधे रखता है। उन्होंने इसकी जीवंत भाषा शैली की भी तारीफ की, जो इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।
डॉ. हिमांशु वाजपेयी ने तीनों लेखकों द्वारा अपने विशिष्ट लेखन शैलियों को मिलाने की कला की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पाठकों को समय और स्थान की यात्रा कराती है, जिससे वे इसकी दुनिया में पूरी तरह डूब जाते हैं। उन्होंने गुलाबी खंजर को एक काव्यात्मक और ऐतिहासिक यात्रा करार दिया, जो पाठकों के दिलों को छूने में सक्षम है।
इस आयोजन में साहित्य प्रेमियों के साथ-साथ राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने दिलीप पांडेय की साहित्यिक यात्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि राजनीति के साथ-साथ साहित्य में उनकी उपलब्धियाँ सराहनीय हैं और उन्हें मेरी शुभकामनाएँ हमेशा प्राप्त रहेंगी।
कार्यक्रम के अंत में, लेखक दिलीप पांडेय ने कहा कि कविशाला आग़ाज़ में गुलाबी खंजर का लोकार्पण केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि ऐतिहासिक फिक्शन की ताकत और साहित्य के महत्व का एक और प्रमाण था। उन्होंने विश्वास जताया कि यह किताब साहित्य जगत और पाठकों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी।