उन्होंने आगे लिखा, “मैं अपने अनशन के पहले दिन से लोकतांत्रिक तरीके से अनशन पर था, ना मेरी ओर से ना मेरे समर्थकों की ओर से कोई ऐसा कृत्य किया गया जिससे सामाजिक संतुलन बिगड़े। शासन व प्रशासन द्वारा मुझे जबरन सिविल अस्पताल लाया गया और मेरे दोनो हाथ बांधकर जबरन ड्रिप लगाई है।”
“क्या अपनी जनता के लिए आवाज उठाना गुनाह है ? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है ? मैं पूछता हूं इस सरकार से। मेरा आमरण अनशन मेरी जनता की माँगों के पूरी होने तक जारी रहेगा।”
बता दें कि विधायक की हालत शुक्रवार शाम बिगड़ गई। रात करीब 10:00 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और अनशन खत्म करने को कहा। लेकिन विधायक अपनी जिद पर अड़े रहे। इस पर पुलिस ने देर रात उन्हें जबरन उठाया और सिविल अस्पताल में भर्ती करा दिया। अस्पताल में उन्होंने ड्रिप लगवाने से मना कर दिया। आरोप है कि उन्हें जबरन ड्रिप लगाई गई। अभी वह बेहोशी की स्थिति में है।
राकेश प्रताप अमेठी के गौरीगंज विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे। विधायक ने दो अक्टूबर को प्रशासन को ज्ञापन देकर 31 अक्टूबर तक दोनों सड़कों के निर्माण शुरू कराने का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था कि कार्य शुरू नहीं हुआ तो वह पद से इस्तीफा दे देंगे। विधायक का कहना है कि वह सरकार की कार्यशैली के खिलाफ धरना दे रहे हैं। उनकी लड़ाई जारी रहेगी। राकेश प्रताप सिंह ने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए हाल ही में अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था। इसके बाद से वह लखनऊ में अनशन पर बैठे थे।