विश्व बैंक ने रविवार को कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास की दर तीन दशक के निचले स्तर पर आ सकती है। विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की GDP Growth की दर 1.5 फीसद से 2.8 फीसद के बीच रह सकती है। बैंक ने कोरोनवायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में मची उथल-पुथल को विकास दर में भारी कमी का कारण बताया है। विश्व बैंक ने अपनी ‘साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट’ में यह बात कही है। विश्व बैंक का अनुमान अगर सही बैठता है तो देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 1991 के बाद के निचले स्तर पर आ जाएगी। साल 1991 में देश ने उदारवादी आर्थिक नीतियों को अपनाया था।
विश्व बैंक का अनुमान है कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास की दर 4.8 फीसद से 5 फीसद के बीच रहेगी। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी ऐसे समय में फैली है जब भारत की इकोनॉमी पहले से सुस्ती का सामना कर रही थी।
कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया है। इसके तहत कारखानों और तमाम व्यवसाय को बंद कर दिया गया है। साथ ही उड़ानों, ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया है। इसके साथ ही लोगों की आवाजाही पर भी पाबंदियां लागू की गई हैं।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से घरेलू आपूर्ति और मांग में कमी की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी।
वैश्विक स्तर पर जोखिम एवं भारत के वित्तीय क्षेत्र को लेकर फिर से पैदा हुए चिंताओं के कारण घरेलू निवेश में फिर से तेजी आने में समय लगेगा। विश्व बैंक ने कहा है कि कोविड-19 के प्रभाव के खत्म होने एवं वित्तीय और मौद्रिक नीतिगत मदद की वजह से अगले वित्त वर्ष (2021-22) में देश की जीडीपी वृद्धि दर पांच फीसद के आसपास रहने का अनुमान है।
कोविड-19 से जुड़ी चिंताओं के कारण हाल में कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत के आर्थिक विकास से जुड़े अनुमान में कटौती की है।
source: Jagran.com