Coronavirus: बाहर से आने के बाद साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धुलने की आदत अपनाने के साथ अगर आप रेस्पिरेटरी हाइजीन का भी ध्यान दें तो कोरोना का खौफ भाप में उड़ जाएगा। जी हां, विशेषज्ञ मानते हैं कि दिन में दो से तीन बार पांच मिनट तक भाप लेना फेफड़ों का संक्रमण रोकने में बेहद असरकारी है। ऐसे में कोरोना से जंग के बीच आप इसे अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले तीन सप्ताह हमारे लिए महत्वपूर्ण है। आगामी 14 दिन में संक्रमण के बहुत से नए मामलों के सामने आने की आशंका है। इसलिए सभी को हाइजीन पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। इसमें हैंड हाइजीन ही नहीं, रेस्पिरेटरी हाइजीन भी शामिल है। आप सुबह-शाम गर्म पानी का भाप लेना फेफड़े के संक्रमण से बचने का कारगर उपाय है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. पीके गुप्ता के मुताबिक, हाथों की साबुन से सफाई 20 सेकंड तक करनी चाहिए। साथ ही श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले वायरस (जिसमें कोरोना भी आता है) से बचाव के लिए नाक के रास्ते को पानी की भाप से लेते रहना चाहिए। खांसी, बंद नाक और बलगम जमा होने पर यह उसे खोलता है। स्वस्थ व्यक्ति को भी इस मौसम में दो से तीन बार पांच मिनट भाप लेना चाहिए। इससे फेफड़े सहित श्वांस नलियों में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
एहतियात भी जरूरी
कोरोना वायरस अधिक तापमान में मर जाता है। इस विश्वास के कारण लोग बहुत तेज तापमान पर और बहुत देर तक भाप ले रहे हैं, जो कि शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। खासतौर पर हमारे फेफड़ों के लिए, क्योंकि ये सॉफ्ट टिश्यू से बने होते हैं। इसके साथ ही चेहरे की त्वचा झुलस सकती है। गले में अंदर की त्वचा के टिश्यूज भी बर्न हो सकते हैं, जिस कारण गले में सूजन की दिक्कत हो सकती है। इससे खाने और सांस लेने में परेशानी हो सकती है, जिसका असर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकता है।
श्वसन तंत्र होता है साफ
भाप हमारी नाक और गले में जाकर वहां जमा म्यूकस (जिससे कफ बनता है) को पतला करती है। इससे हमें सांस लेने में आसानी होती है और हम काफी राहत महसूस करते हैं। जुकाम के वक्त भाप लेने से इसलिए राहत मिलती है क्योंकि ठीक प्रकार से सांस न ले पाने के कारण हमारे शरीर में ऑक्सीजन उतनी मात्र में नहीं पहुंच पाती, जितनी हमारे शरीर को चाहिए। इस कारण शरीर में भारीपन और ऊर्जा की कमी का अहसास होता है। भाप लेने का बाद श्वांस की नलियां खुल जाती है और हम भरपूर ऑक्सीजन सांस के जरिए खींच पाते हैं।
source: Jagran.com