बिहार में शराबबंदी के बीच कथित तौर पर जहरीली शराब से हो रही लोगों की मौतों को लेकर विपक्ष एनडीए सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही इस मामले को लेकर राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। इस बीच, कांग्रेस का कहना है कि बिहार में सत्ताधारी गठबंधन की प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सैद्धांतिक रूप से शराबबंदी नहीं चाहती है। पटना में शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ऋषि मिश्र, शंकर स्वरूप, आसिफ गफूर सहित कई नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक साल में जहरीली शराब पीने से 80 लोगों की मौत हुई है। यह इस बात का संकेत करती है कि पूर्ण शराबबंदी एक ढकोसला मात्र है, जिसका दंभ भरकर सिर्फ चुनाव में कवायद की जाती है।
नेताओं ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से भाजपा के लोग पूर्ण शराबबंदी नहीं चाहते हैं। कांग्रेस के नेताओं ने तर्क देते हुए कहा कि अगर भाजपा के नेता पूर्ण शराबबंदी चाहते तो भाजपा शासित सभी राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू होती।
इस संवाददाता सम्मेलन में शाश्वत केदार पांडेय और बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार भी उपस्थित रहे। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि भाजपा के एक मंत्री के स्कूल परिसर से शराब बरामद किया जाता है, लेकिन मामले पर कार्रवाई नहीं की जाती है।
कांग्रेस के नेताओं ने स्पष्ट कहा कि जहरीली शराब से मौत राज्य सरकार की विफलता है। उन्होंने मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये आर्थिक मदद और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की।
नेताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रत्येक जिले के प्रभारी मंत्री अपने संबंधित जिले में पहुंचेकर लोगों की मदद करें और पूरे मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच की जाए।
उल्लेखनीय है कि पूर्व विधायक ऋषि मिश्र के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने के लिए समय की मांग की है।