सरमा को जारी किए गए नोटिस में कहा गया है, “आयोग का विचार है कि उपरोक्त बयान देकर, आपने आदर्श आचार संहिता के उक्त प्रावधान और निर्देशों का उल्लंघन किया है। इसलिए, अब आयोग आपको मंगलवार को शाम 5 बजे या उससे पहले इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर देता है। यदि उक्त समय सीमा के भीतर कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो आयोग बिना किसी संदर्भ का उल्लेख किए अपना निर्णय लेगा।”
चुनाव आयोग ने कहा कि असम राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया की अलग-अलग शिकायतों के बाद सोमवार को सरमा को नोटिस दिया गया है। दरअसल मुख्यमंत्री ने चुनाव अभियान के दौरान मेडिकल कॉलेजों, सड़कों और पुल का निर्माण, स्टेडियम, विकास परियोजनाओं के साथ ही चाय बागान श्रमिकों के स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय अनुदान का वादा किया था।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि सरमा को राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते आदर्श आचार संहिता का सम्मान करना चाहिए। राज्य कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने कहा, “यह देखा जा रहा है कि सरमा कैसे खुलेआम और खुले तौर पर चुनाव आयोग के नियमों पर विचार किए बिना नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे यह आभास होता है कि सत्ता में रहने वाले किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। यह संस्थानों और नियमों के प्रति सम्मान की पूर्ण कमी को दर्शाता है।”
उन्होंने एक बयान में कहा कि वीडियो क्लिपिंग के सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है और चुनाव आयोग को कारण बताओ नोटिस देकर प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। ऑडियो-विजुअल साक्ष्य के आधार पर सरमा को आगे के प्रचार से तुरंत रोक दिया जाना चाहिए। यह चुनाव आयोग के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा कि आदर्श आचार संहिता नियमों का पालन किया गया है और सत्ता में बैठे लोगों द्वारा इसकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए।
बता दें कि असम की पांच विधानसभा सीटों- भबनीपुर, मरियानी, थावरा, तामुलपुर और गोसाईगांव में 30 अक्टूबर को उपचुनाव होंगे।