राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने और मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में मदरसों को बंद करने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश पर रोक लगा दी है
आपको बता दें, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया। शिक्षा के अधिकार कानून का पालन न करने के कारण NCPCR ने मदरसों को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए अनुपयुक्त और अयोग्य करार दिया था। जमीयत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि इस मामले में सभी राज्यों को पक्ष बनाया जाना चाहिए, क्योंकि कई राज्य ऐसे कदम उठा रहे हैं। इस पर सीजेआई ने नोटिस जारी करने को कहा है और कहा कि किसी भी सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एनसीपीसीआर द्वारा सात जून और 25 जून को जारी किए गए 27 जून तक के संचार पर रोक लगाई जाती है और इसके बाद उठाए गए सभी कदमों पर रोक लगाई जाती है। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी रोक रहेगी।
न्यायालय ने मुस्लिम संगठन को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को अपनी याचिका में पक्षकार बनाने की भी अनुमति दे दी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए।