रितेश सिन्हा
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
मध्य प्रदेश की विधानसभा चुनाव की घड़ी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है कि मामा शिवराज की अगुवाई में सत्तारूढ़ दल भाजपा जनता में अपना आधार खोता जा रहा है। घबराहट का आलम ये है कि कांग्रेस की आमसभा से एक दिन पूर्व भाजपा से सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रविदास मंदिर के शिलान्यास के बहाने चुनावी मैदान में उतार दिया है। सागर जिले के जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद आनंद अहिरवार क्षेत्र के लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें 1991 में सबसे कम उम्र के सांसद होने का गौरव भी प्राप्त है। क्षेत्र के प्रति उनका समर्पण ये है कि थोड़े समय में ही उन्होंने एशिया की सबसे बड़ा तेलशोधक कारखाना रिफाइनरी को अपने लोकसभा क्षेत्र में लगवाने में कामयाब रहे। एक-एक विधानसभा में नजर रख रहे कमलनाथ ने अहिरवार को ग्रामीण का जिलाध्यक्ष बनवाकर 7 विधानसभाओं के लिए जवाबदेह बनाया है। इसके लिए 2 महीने से लाखों की भीड़ जुटाने में जुटे कमलनाथ के सिपाहसलार अहिरवार रात-दिन एक किए हुए थे। भाजपा ने इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी को उतारकर अनुसूचित जाति में कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रविदास मंदिर की आधारशिला का कार्यक्रम बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कमलनाथ की रैली को फीका करने की कोशिश की है। आनंद अहिरवार 13 अगस्त को ही कार्यक्रम पर अड़े थे, पर कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल के दवाब और कमलनाथ के मशविरे के बाद फिलहाल रैली को रद्द किया गया है। सागर जिले में आनंद और शिवराज फिलहाल आमने-सामने हैं।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी अपनी रणनीति के साथ वोटर को घेरने में नित नई घोषणाएं कर रही है। मुफ्त रेवड़ी बांटने का केजरीवाल घोषणापत्र अब कांग्रेस को रास आने लगा है। भाजपा और कांग्रेस में इसको लेकर होड़ मची हुई है। कांग्रेस से पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल और केंद्रीय मंत्री और भाजपा के अमित शाह ने राज्य के चुनाव में आमने-सामने हैं। शिलान्यास और घोषणाओं के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार मध्य प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। पूर्व सांसद आनंद अहिरवार ने बताया कि मध्य प्रदेश की राजनीति में लगभग 82 सीटें सरकार बनाने वाले दल के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसमें 47 अनुसूचित जनजाति और 35 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्षेत्र हैं। इसकी मॉनिटरिंग टीम राहुल के के. राजू और अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलोठिया कर रहे है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री व भाजपा के शिवराज मामा यात्रा के माध्यम से इन 82 सीटों को साधने में जुटे हैं जिसकी सीधी लड़ाई सागर की नरयावली विधानसभा में अब दिखाई दे रही है।
पिछले चुनाव में 2013 में भाजपा ने 82 आरक्षित सीटों में भाजपा ने 59 जीतीं थीं, जिनमें अनुसूचित जनजाति की 31 सीटें और अनूसूचित जाति की 34 सीटें शामिल थीं। 2018 के चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जाति की 18 और अनुसूचित जनजाति की 16 सीटें ही मिली थीं। बची सीटों में कांग्रेस ने अपना तिरंगा लगाते हुए सरकार बना ली थी। तब भाजपा ने अपनी हार को स्वीकार करते हुए कांग्रेस का किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा इसका प्रमुख कारण माना था। भाजपा 2023 के लिए किसान, महिला और कर्मचारियों के साथ-साथ जातिगत समीकरणों को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। प्रधानमंत्री मोदी को एकाएक रविदास मंदिर के शिलान्यास के बहाने अनूसूचित जाति वोट को जोड़े रखने की रणनीति भर है। सागर के अलावा मालवा अंचल, बुदेलखंड और ग्वालियर-चंबल संभाग में भी अनुसूचित जाति वर्ग का खासा बड़ा वोट बैंक है। डाल-डाल, पात-पात की राजनीति में शह-मात का खेल खेलते हुए शिवराज सिंह चौहान की घेराबंदी की रणनीति में प्रधानमंत्री मोदी के बाद अब राहुल और प्रियंका की एंट्री होने जा रही है।
कमलनाथ के खेमे से निकली खबरों पर विश्वास करें तो राहुल गांधी आदिवासी दलित और ग्रामीण इलाके में ज्यादा सक्रिय रहेंगे, वहीं शहरी इलाकों में प्रियंका गांधी के रोड शो और सभाओं के कार्यक्रम तय हो रहे हैं। कमलनाथ मध्य प्रदेश के अघोषित मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। अब तक प्रियंका गांधी महाकौशल के जबलपुर और ग्वालियर चंबल के ग्वालियर में दौरा करते हुए रैलियों को संबोधित कर चुकी हैं। राज्य के प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि राहुल गांधी का भी मध्यप्रदेश में कार्यक्रम तय है। राहुल 8 अगस्त को शहडोल जिले के ब्योहारी क्षेत्र का दौरा करेंगे जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। प्रधानमंत्री के सागर दौरे पर कमलनाथ भी भाजपा से सवाल पूछ रहे हैं कि बीते 18 सालों में संत रविदास और तुलसी दास को क्यों भाजपा भूल गई थी। अब तक भाजपा दलितों-आदिवसियों पर अत्याचार पर क्यों मौन रही?
आपको बता दें कि 2018 में कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी का दांव खेलते हुए सरकार बना ली थी। 230 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थी। कांग्रेस को 4 निर्दलीय 2 बसपा और 1 सपा का विधायक का समर्थन हासिल था। कमलनाथ सरकार 15 महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के कारण गिर गई और शिवराज ने जोड़तोड़ और जुगाड़ की सरकार बना ली। अब कमलनाथ ने पहले से ही अपनी लोकलुभावन वायदों और घोषणाओं का पिटारा खोल दिया है। कांग्रेस और कमलनाथ खुद को किसानों की हितैषी बता रहे हैं। कमलनाथ ने पांच बड़े ऐलान करते हुए भाजपा की नींदे उड़ा दी है। इनमें बिजली के सभी पुराने बिलों की माफी, किसानों की कर्जा माफी, किसान आंदोलन के दौरान बने केस की वापसी, किसानों को खेती के लिए 12 घंटे बिजली और 5 हर्स पॉवर तक कृषि पंपों पर बिजली मुफ्त देने की घोषणाएं प्रमुख हैं। वहीं महिला वोटरों को लुभाने के लिए नारी सम्मान योजना के तहत 1,500 रुपये और 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की घोषणा अब जनता में अपना असर दिखा रही हैं।
कमलनाथ अपनी चुनावी सभाओं में ये बोलना नहीं भूलते की महिलाओं को हक, अधिकार और सम्मान देश में कांग्रेस की देन है। मध्य प्रदेश में भी सरकार बनने पर उनके सम्मान को कमलनाथ की सरकार बनाकर रखेगी। हालांकि कमलनाथ के धुर विरोधी और कांग्रेस से भाजपाई हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मानना है कि कांग्रेस और कमलनाथ के घोषणाओं में कुछ नया नहीं हैं। 2018 में भी विधानसभा चुनाव से पहले कई घोषणाएं की थी। किसानों के कर्ज माफी की झूठी बात की थी, क्योंकि घोषणा करने और मेनिफेस्टो की बात करने में कांग्रेस एक नंबर हैं। लेकिन सत्ता की कुर्सी पर बैठते ही कांग्रेस जनता को भूल जाती है। चुनाव नजदीक है। घोषणाओं के साथ-साथ एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। देखना है कि जनता पांचवीं बार मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाती है या कर्नाटक की तरह कांग्रेस की लंबे समय के बाद जोरदार वापसी होती है। ये तो अब चुनाव के नतीजों के बाद ही तय हो पाएगा।