पूरे देश को दहला देने वाली घटना के बाद चेतन कुमार सिंह को सोमवार सुबह हिरासत में ले लिया गया था और फिर शाम को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। उसे आज बोरीवली कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से 7 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
मुंबई-जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में हुई खूनी वारदात के एक गवाह और शिकायतकर्ता आरपीएफ अमय जी. आचार्य ने खुलासा किया है कि मुख्य आरोपी चेतन कुमार सिंह ने उसका गला घोंटने की कोशिश की और उसका स्वचालित हथियार छीनने की कोशिश की थी। घटना की एफआईआर में यह बयान मुंबई में महालक्ष्मी में तैनात 26 वर्षीय आरपीएफ कांस्टेबल अमय जी. आचार्य द्वारा दर्ज कराया गया है।
पूरे देश को दहला देने वाली वारदात के बाद चेतन कुमार सिंह को सोमवार को हिरासत में लिया गया और फिर शाम को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया और उसे बोरीवली कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उसे मंगलवार दोपहर 7 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
कांस्टेबल आचार्य ने बताया कि वह 28 जुलाई से सौराष्ट्र मेल से ओखा (गुजरात) तक प्रभारी टीकाराम मीना, हवा नरेंद्र परमार और कांस्टेबल चेतन कुमार सिंह के साथ एक सप्ताह के चक्र में ड्यूटी पर था। 30 जुलाई की रात करीब 9.06 बजे टीम हथियारों से लैस होकर उस ट्रेन से रवाना हुई और 31 जुलाई की रात 1.11 बजे सूरत पहुंची, जहां से उन्होंने 2.53 बजे जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस पकड़ी।
आचार्य मे बताया कि एएसआई मीना और चेतन सिंह एक वातानुकूलित बोगी में तैनात थे, जबकि आचार्य और परमार पास के स्लीपर कोच की रखवाली कर रहे थे। लगभग 3.15 बजे, जब आचार्य बी-2 एसी कोच में मीना से मिले, तो सिंह ने खराब स्वास्थ्य की शिकायत की और अपने बॉस (मीना) से कहा कि वह वलसाड स्टेशन पर उतरना चाहता है।
इस मीना ने सिंह को यह कहते हुए मनाने की कोशिश की कि मुश्किल से कुछ घंटों के बाद ट्रेन मुंबई पहुंच जाएगी और सुझाव दिया कि उन्हें तब तक आराम करना चाहिए। लेकिन चेतन सिंह अड़ा रहा। तब मीना ने स्थिति से अवगत कराने के लिए मुंबई सेंट्रल कंट्रोल में इंस्पेक्टर हरीश चंद्र को फोन किया, जिन्होंने सलाह दी कि चेतन सिंह को मुंबई तक की यात्रा जारी रखनी चाहिए, जहां वह इलाज करा सके और आराम कर सके।
चेतन सिंह का मूड ठीक नहीं था, इसके बाद मीना ने सहायक सुरक्षा आयुक्त सुजीत कुमार पांडे से बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आचार्य ने बताया कि उन्होंने सिंह के लिए शीतल पेय लाया, जिसे उसने नहीं पिया, इसलिए मीना ने उससे सिंह की राइफल लेने और उसे आराम करने की अनुमति देने के लिए कहा। इसके बाद आचार्य चेतन सिंह के साथ बी-4 कोच में गए, जहां वह एक खाली सीट पर लेट गए।
इसी बीच, सिंह ने ट्रेन पर गोलीबारी की और आचार्य कुछ देर के लिए शौचालय में छिप गए और फिर सिंह को मीरा रोड स्टेशन की ओर पटरियों पर चलते देखा। 15 मिनट के बाद, ट्रेन फिर से चल पड़ी और जब आचार्य एस-6 कोच में दाखिल हुए तो उन्होंने वहां एक यात्री को खून से लथपथ और जैसे ही ट्रेन सुबह 6.20 बजे बोरीवली स्टेशन पर रुकी तो दूसरे शख्स को पेंट्री कार में खून से लथपथ देखा।
इसके बाद सुबह 6.30 बजे तक जब सब कुछ खुल गया तो यह सामने आया कि चेतन सिंह ने चलती ट्रेन में अपने अधिकारी मीना और तीन अन्य यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसने भागने की कोशिश की लेकिन मीरा रोड पर आरपीएफ और जीआरपी के लोगों ने उसे पकड़ लिया। रेलवे ने इस त्रासदी की जांच’ के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है, इसमें पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, प्रिंसिपल सी शामिल होंगे।
Source: NH