रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी
भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ’फेरेल ने बताया है कि यह सदी भारत की है। उन्होंने एक अंग्रेजी वेबसाइट की दिए इंटरव्यू में कहा कि यह भारत की सदी होने जा रही है। हम सामरिक शक्ति को अटलांटिक से हिंद-प्रशांत की ओर परिवर्तित होते हुए देख रहे हैं।
ओ’फेरेल के अनुसार, भारत और ऑस्ट्रेलिया आने वाले वर्षों में अपने सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और आपसी सामंजस्य में वृद्धि देखने को मिलेगी। इसके अलावा और कई अन्य प्रमुख बहुपक्षीय अभ्यासों में दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त रूप से भाग लेना जारी रखेंगी।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा कि क्वाड या चतुर्भुजीय सुरक्षा वार्ता किसी देश विशेष के खिलाफ नहीं है। यह समूह कुछ “अस्तित्व संबंधी और नाजुक मुद्दों” पर केंद्रित है, जिनका दुनिया सामना कर रही है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत और ऑस्ट्रेलिया जल्द ही एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद 2022 में एक बड़ा व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) किया जाएगा।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ’फेरेल ने कहा कि मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच बढ़ती संयुक्त गतिविधियों और बढ़ते आपसी सामंजस्य को देख रहे हैं। हमारे पास दो बहुत ही सफल मालाबार अभ्यास हैं। इस साल की शुरुआत में, हमने फ्रांस के साथ एक्सरसाइज ला पेरोस में भी भाग लिया था।
जून 2020 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी से उन्नत किया है। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक पारस्परिक रसद सहायता समझौते (एमएलएसए) पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि हम तालिजमैन सेबर में अगले साल होने वाले सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना के भाग लेने की “उम्मीद” करते हैं। यह द्विवार्षिक अभ्यास ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा अभ्यास है, जिसका नेतृत्व ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल और अमेरिकी सेना द्वारा किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में तीनों सेनाओं के सैनिक शामिल होते हैं।
इस अभ्यास में भारतीय बलों की भागीदारी की घोषणा सितंबर 2021 में भारत-ऑस्ट्रेलिया 2+2 वार्ता के उद्घाटन के दौरान की गई थी। अधिक संयुक्त सैन्य अभ्यासों की आवश्यकता के बारे में बताते हुए ओ’फेरेल ने कहा कि इसकी आवश्यकता इसलिए पड़ी जिससे “देश एक साथ और अधिक प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम हो सकें।
आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा कि जब हम एक साथ आते हैं और इन अभ्यासों को करते हैं, तो हम जानते हैं कि अन्य भागीदार कैसे काम करते हैं। इसका मतलब है कि हम एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल मालाबार समुद्री अभ्यास दो चरणों में अगस्त और अक्टूबर में हुआ। इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया था।