शीतकालीन सत्र से निलंबित हुए राज्यसभा सांसद वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजमणि पटेल ने दिल्ली से दूरभाष पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि राज्यसभा के 12 सांसदों का निलंबन सरकार के तानाशाही की पराकाष्ठा है उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर ना मिलने पर सदन की कार्यवाही के दौरान अपनी बात रखने का प्रयास किया गया था। श्री पटेल ने कहा कि जब किसान बिल सदन में लाया गया था तो विपक्ष उसमें चर्चा का अवसर चाहता था पर किसी को बोलने का मौका नहीं दिया गया और यह कहा गया कि बिल किसानों के हित में है और चंद किसान राजनैतिक दलों के उकसावे पर विरोध कर रहे हैं आंदोलन कर रहे किसानों को पाकिस्तानी समर्थक आतंकवादी तथा आंदोलन जीवी कहा गया। श्री पटेल ने कहा कि आज जब सरकार अपने ही लाए गए बिल को वापस ले रही है तो फिर विपक्षी सांसदों के ऊपर निलंबन की गाज गिराने का क्या औचित्य है? श्री पटेल ने कहा किसान बिल को जबरन पास कराने तथा फिर वापस लेने से यह साबित हो गया है कि मोदी सरकार की कथनी और करनी अलग-अलग है श्री पटेल ने कहा कि जिस सत्र का मामला होता है सजा भी उसी सत्र में होनी चाहिए उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा के 12 सांसदों का निलंबन कर सरकार विपक्ष को जबरन दबाव में लेना चाहती है ताकि जनता की आवाज लोकतंत्र के मंदिर में ना उठाई जा सके श्री पटेल ने कहा कि लोकतंत्र के तथाकथित ठेकेदारों को अब जनता की अदालत में सजा देने का समय आ गया है।