मंगलवार को बदायूं जिले में एक समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बदाऊं को पहले वेदमऊ के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक अध्ययन का केंद्र था और यह दुनिया की सबसे उपजाऊ भूमि है।”
हालांकि पहले नाम बदलने की कोई मांग नहीं थी, लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री के संकेत ने स्थानीय भाजपा इकाई को हरकत में ला दिया है।
स्थानीय भाजपा नेता रजित सभरवाल ने कहा, ‘अब हम बदायूं का नाम बदलने की औपचारिक मांग करेंगे। हमने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है और तथ्यों को सामने रखने के लिए इतिहास में तल्लीन कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि चुनाव से पहले प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार बदायूं का नाम अहीर राजकुमार बुद्ध के नाम पर रखा गया था।
प्रो. गोटी जॉन ने उल्लेख किया है कि एक प्राचीन शिलालेख में इस शहर का नाम ‘बेदामूथ’ रखा गया था और इस क्षेत्र को पांचाल कहा जाता था।
पाषाण अभिलेख की पंक्तियों के अनुसार नगर के निकट एक ग्राम ‘भदौनलक’ था। एक मुस्लिम इतिहासकार रोज खान लोधी ने कहा कि यहां अशोक-द ग्रेट ने एक बौद्ध विहार और एक किला बनवाया और इसे बौद्धमऊ नाम दिया।
दिलचस्प बात यह है कि बदायूं में अब 21 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
उल्लेखनीय है कि अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ और सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर करने का प्रस्ताव पहले से ही राज्य सरकार के पास लंबित है।