जिन्ना पर बवाल के बाद समाजवादी पार्टी ने अपनी छवि बदलने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी एहतियात के साथ अपनी मुस्लिम वोटों पर आधारित पार्टी की छवि को छोड़कर बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का मुकाबला करने की रणनीति बना रही है।
समाजवादी पार्टी के एक विधायक ने बताया कि, “पार्टी ने एम-वाई (मुस्लिम यादव) छवि को बदलने का सोच-समझकर फैसला लिया है। पार्टी खुद को ऐसी पार्टी के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती है जो हिंदुओं के खिलाफ नहीं है।”
इसी रणनीति का नतीजा है कि पार्टी मुखिया अखिलेश यादव अब मुस्लिम नेताओं के साथ ज्यादा मंच साझा नहीं करते, बल्कि हाल के दिनों में कई मंदिरों का भी उन्होंने दौरा किया है। अखिलेश यादव के भाषणों में भी दावा किया जा रहा है कि वे बीजेपी नेताओं से ज्यादा बड़े हिंदू हैं।
बीते एकाध सप्ताह के दौरान, बीजेपी नेताओं ने अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान पर उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई है। अखिलेशने एक तरह से पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की सरदार पटेल और महात्मा गांधी से तुलना की थी। योगी आदित्यनाथ समेत कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने इसके बाद ही अखिलेश को ‘जिन्नावादी’ कहना शुरु कर दिया था। इतना ही नहीं हिंदू भावनाओं को उकसाने के लिए बीजेपी नेताओं ने अपने भाषणों में यह तक कहना शुरु कर दिया कि मुलायम सिंह यादव सरकार में राम भक्तों पर अयोध्या में गोली चलवाई गई थी।
बीजेपी विधायक ने इस संवाददाता को बताया कि बीजेपी की रणनीति एकदम साफ है कि उसे सांप्रदायिक घृणा का माहौल बनाना है। योगी आदित्यनाथ ने अभी पश्चिमी उत्तर प्रदेस के शामली में इसी की कोशिश की। 2016 में इलाका छोड़ कर जा चुके और अब वापस आए कुछ व्यापारियों से आदित्यनाथ ने मुलाकात की। विधायक ने कहा, “अपने भाषणों में योगी एक मुस्लिम अपराधी का नाम लेते हैं कि कैसे हिंदुओं को परेशान किया गया। सीएम ने इस अपराधी का नाम एक बार नहीं, दर्जनों बार लिया। इसी से बीजेपी के गेम प्लान का पता चलता है।”
पिछले सप्ताह लखनऊ में सपा मुख्यालय में हुई एक बैठक में तय किया गया कि समाजवादी पार्टी को अपनी छवि बदलने की जरूरत है। इस बात पर सहमति बनी कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदुत्व ही सबसे प्रभावी कारक है और पार्टी को भी गेम के इन्हीं नियमों का पालन करना चाहिए।
पार्टी के नेताओ को लगता है कि जहां तक मुस्लिम मतदाताओं का सवाल है उन्होंने मोटे तौर पर समाजवादी पार्टी को वोट देने का मन बना लिया है क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य बीजेपी से छुटकारा पाना है। पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र का कहना है कि समाजवादी पार्टी को लगता है कि कांग्रेस और एआईएमआईएम से कोई खतरा नहीं है क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक में उनकी कोई पैठ नहीं है और इन दोनों दलों से पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को कोई खतरा नहीं है। इसके लावा आरएलडी के साथ गठबंधन कर पार्टी बीएसपी को भी कुंद करने की रणनीति पर काम कर रही है।
समाजवादी पार्टी विधायक ने कहा कि, “इन हालात में पार्टी बीजेपी की बिछाई पिच पर नहीं लड़ सकती है। इसलिए हमें दूसरा तरीका अपना पड़ा है और पार्टी ने तय किया है कि हम ऐसा गेम खेलेंगे जिसमें बीजेपी को सांप्रदायिक आधार पर कोई मौका नहीं मिलेगा।“