शहीद मेजर दुर्गा मल्ल ने अपना बलिदान देकर उत्तराखण्ड ही नहीं, पूरे देश का गौरव बढ़ाया है
दिल्ली/ गोरखा शहीद सेवा समिति एवं मात्र भूमि सेवा संस्था, गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट दिल्ली यूनिट के तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की 77 वें बलिदान दिवस को गोरखा शहीद सेवा समितिने एक स्मृति सभा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर कई लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शहीद दुर्गा मल्ल के चित्र एवं शहीद स्मारक पर पुष्प चढ़ाकर उनका भावपूर्ण स्मरण किया।
गोरखा शहीद सेवा समिति संरक्षक रिज़वान रज़ा ने कहा कि शहीद मेजर दुर्गा मल्ल ने अपना बलिदान देकर उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश का गौरव बढ़ाया। अपने प्राणों का बलिदान देकर उन्होंने आजादी के संघर्ष को धार दी। श्री रज़ा ने बताया कि भारत की स्वतंत्रता के लिए युवावस्था से ही आंदोलनों में भाग लेकर संघर्ष करना शुरू कर दिया था। अंग्रेजों के आगे सीना तानकर उन्होंने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया। जंगे ए आजादी के संघर्ष में मेजर शहीद दुर्गामल्ल ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने युवाओं को आजादी के संघर्ष से जोड़ने का काम किया। शहीद दुर्गा मल्ल की देशप्रेम की भावना को युवाओं को आत्मसात करना चाहिए।
गोरखा शहीद सेवा समिति के अध्यक्ष ऐन्डरो गुरुगं ने शहीद मेजर दुर्गा मल्ल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दुर्गा मल्ल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया। जिसमें दुर्गा मल्ल की बहुत सराहनीय भूमिका रही। इसके लिए मल्ल को मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होने युवाओं को आजाद हिन्द फौज में शामिल करने में बड़ा योगदान दिया। दुर्गा मल्ल को युद्धबंदी बनाने और मुकदमे के बाद उन्हें बहुत यातना दी गई। 15 अगस्त 1944 को उन्हें लाल किले की सेंट्रल जेल लाया गया और जहाँ 25 अगस्त 1944 को उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। 17 जुलाई 2004 में संसद परिसर में शहीद दुर्गा मल्ल की प्रतिमा लगाई गई।
सभा का संचालन मातृभूमि सेवा सस्थां के राकेश कुमार जीने किया। सभा में खास तौर पर श्री अजय पहलवान फिल्म ऐक्टर,श्री चंद्र कांत राष्ट्रीय संयोजक, राकेश कुमार राष्ट्रीय सचिव ,संजय कुमटा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आशना, पुरुषोत्तम, माणिक, वारिशा, अंजलि सिन्हा, जतिंदर सिंह, हुमा फातमा, अलीना फातिमा सहित कई लोग मौजूद रहे।