रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी
कूटनीतिक मायनों में भारत के लिए अगस्त 2021 काफी खास रहने वाला है। इस महीने एक तरफ जहां भारत विश्व की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की कमान सम्भाल रहा है। वहीं दूसरी तरफ 9 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समुद्री सुरक्षा पर यूएनएससी में आयोजित एक ओपन डिस्कशन की वर्चुअल माध्यम से अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले वह भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा चुने हुए विषय समुद्री सुरक्षा पर आयोजित हस्ताक्षर कार्यक्रम का शुभारंभ भी करेंगे।
समुद्री सुरक्षा पर यूएनएससी में आयोजित ओपन डिस्कशन की वर्चुअल माध्यम से पीएम मोदी करेंगे अध्यक्षता।
पीएम मोदी की ओपन डिस्कशन की अध्यक्षता के उद्देश्य के बारे में नाम ना छापने की शर्त पर भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि “देखिए, हमें यह समझना होगा कि भारत समुद्री अर्थव्यवस्था वाला राष्ट्र रहा है, इसका लंबा इतिहास है। भारत का आयात और निर्यात मुख्य रूप से समुद्री मार्गों पर निर्भर है। इसको देखते हुए हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक सभी दिशाओं में हमारे समुद्री और सामरिक हित महत्वपूर्ण हैं। इसलिए इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि भारत समुद्री सुरक्षा के मुद्दों को सबसे ज्यादा महत्व दे रहा है।
09 अगस्त को यूएनएससी के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श किया जाने विषय ‘समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना-अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के रखरखाव के लिए एक मामला’ होगा। इसे 2015 में हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) को लेकर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई पहल सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि “हिंदी-प्रशांत क्षेत्र को लेकर हमारा उद्देश्य आपसी सहयोग क बढ़ाना और इस क्षेत्र से जुड़े सभी साझेदार लाभान्वित हो सके इसका ध्यान रखना है।
सागर नीति के अलावा भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला, सुरक्षित और समृद्ध’ बनाने के लिए क्वाड, आसियान और अन्य साझेदार देशों के साथ कार्य कर रहा है। विश्व की सबसे शक्तिशाली संस्था के सदस्य और अध्यक्ष के तौर पर भारत के पास सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में से एक समुद्री सुरक्षा पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने साथ ही आम सहमति बनाने का अवसर है।
प्रधानमंत्री मोदी की यूएनएससी की अध्यक्षता के दौरान बड़ी संख्या में वरिष्ठ राजनयिकों और नेताओं के मौजूद रहने की उम्मीद है। इस दौरान सदस्य देश समुद्री सुरक्षा के महत्व और समुद्री अपराध को दूर करने में अपनी क्षमताओं को कैसे बढ़ा सकते हैं, ये बहस के बड़े विषय होंगे। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि “इस उच्च स्तरीय चर्चा के माध्यम से हमारा उद्देश्य ऐसी व्यवस्था बनाना है, जिससे समुद्री क्षेत्र में सबकी समान पहुंच हो सके और सबकी क्षमताओं का उपयोग किया जा सके और सबको उसका लाभ मिल सके।
यूएनएससी की बैठक की अध्यक्षता करते समय प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक मजबूत संदेश भेजने के साथ ही इस तथ्य को भी रेखांकित करेंगे कि भारत वैश्विक आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेता है। वास्तव में यह ऐतिहासिक घटना दुनिया की वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और यूएनएससी जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सुधार करने की भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग को मजबूती प्रदन करेगी।