(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर बुधवार को वर्चुअली आयोजित 11वें आसियान सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने पूर्वी एशिया के विदेश मंत्रियों को संबोधित किया और आसियान सदस्यों के साथ क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं में तेजी लाने का आह्वान किया, जिसमें म्यांमार और थाईलैंड के साथ त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान पारगमन परिवहन परियोजना शामिल है। इस संबंध में उन्होंने तीन ट्वीट कर जानकारी दी। अपने ट्वीट में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि आज पूर्वी एशिया-भारत के विदेश मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण और उपयोगी बैठक हुई।
आसियान को सफल क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण का अच्छा उदाहरण माना जाता है।
ट्वीट में विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा कि भारत के कई हित और संबंध इसके पूर्व में हैं, जो आसियान के साथ हमारे संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने आगे कहा कि हम अपने माल के व्यापार समझौते की शीघ्र समीक्षा के लिए तत्पर हैं।’सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर में अपने समुद्री सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चीन द्वारा तैयार की जा रही आचार संहिता के मसौदे पर चिंता व्यक्त की। उनके चिंता व्यक्त करने की मुख्य वजह दक्षिण चीन सागर से जुड़ा भारत का आर्थिक हित है, क्योंकि यह क्षेत्र हिंद-प्रशांत महासागर में आता है, जो भारत और पूरे एशिया का मुख्य व्यापारिक जल-मार्ग है।
इसको लेकर उन्होंने ट्वीट कर कहा कि दक्षिण चीन सागर पर आचार संहिता पूरी तरह से यूएनसीएलओएस 1982 के अनुरूप लागू होनी चाहिए। विभिन्न देशों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालना चाहिए और चर्चाओं में एकपक्षीय नहीं होना चाहिए।’अपने ट्वीट में विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा कि आसियान को सफल क्षेत्रवाद, बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण का अच्छा उदाहरण माना जाता है। ब्रुनेई की सक्षम अध्यक्षता में इस वर्ष की थीम ‘वी केयर, व्री प्रिपेयर, प्रॉस्पर आसियान के दृष्टिकोण को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।
एक अन्य ट्वीट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि म्यांमार पर आसियान की पांच सूत्रीय आम सहमति का समर्थन किया और विशेष दूत की नियुक्ति का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट में आगे कहा कि आसियान के सामने बढ़ती कोविड-19 चुनौती को नोट किया और हमारे समर्थन और एकजुटता से अवगत कराया।