यक़ीनन उनमें इंदिरा गांधी का अक्स दिखता है, धीरे और नपा-तुला बोलना, पहनावा भी वैसा ही सादगी भरा। वक्ता के रूप में भी गजब का संवाद, बिना समय गवाएं कुछ इस कदर घुलना-मिलना जैसे अपनों के ही बीच में हों, बरसों से जानती हों। हिन्दी में जितनी गब की महारत ठेठ उतना ही मजाकिया लहजा भी। अनजान महिला से भी गले मिल हाथ पकड़कर कुछ यूं पेश आना जैसे पुरानी पहचान हो। यही करिश्माई व्यक्तित्व प्रियंका गांधी को कभी गूंगी गुड़िया कही जाने वाली इंदिरा गांधी सा दिखने को मानने मजबूर करता है।
प्रियंका की यही शख्सियत और लोकप्रियता सत्ता संघर्ष के लिए जूझ रहे दावेदारों के लिए ‘उगलत लीलत पीर घनेरी’ जैसी हो गई। भाजपा तो परिवारवाद की आड़ में खुलकर वार कर रही है लेकिन सपा, बसपा ने मजबूरन ही सही चुप्पी ही साध रखी है।
उत्तर प्रदेश दौरे के आज दूसरे दिन लखीमपुर पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा ने पंचायत चुनाव में कथित द्रोपदी के साथ हुए अत्याचार का दर्द साझा किया। उन्होंने लोकतंत्र का चीरहरण करने वाले भाजपा के गुंडों को चेतावनी देते हुए कहा कि महिलाएँ प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनेंगी। उन पर अत्याचार करने वालों को शह देने वाली सरकार का वही हश्र होगा जो महाभारत में कौरवों का हुआ था।
हालांकि चुनाव से महज छह माह पूर्व प्रियंका गांधी का दौरा राजनीति में एकाएक सबके लिए चौंकाने वाला लग रहा है। इस दौरे में कभी वह अलोकतांत्रिक सरकार की नीतियों के विरूद्ध महात्मा गांधी की शरण में मौन सत्याग्रह करती नजर आती हैं, तो कभी देश की बहू बेटियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध दुर्गा का रौद्र रूप उनके चेहरे पर साफ तौर पर देखने को मिलता है। हकीकत तो यह है कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है अब इंतजार सिर्फ सही वक्त का है।