ये भी इस बात पर निर्भर करता है कि दुनिया भर में दी जा रही कोरोना की अलग-अलग वैक्सीन कोरोना के मिल रहे नए वेरिएंट पर असरदार हैं या नहीं। हाल में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में कोरोना का नया वेरिएंट मिला है। उससे पहले ब्रिटेन में भी कोरोना का नया स्ट्रेन मिला था।
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत समेत दुनिया भर में जारी टीकाकरण अभियान के बीच महामारी को लेकर दहलाने वाली खबर आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह दुनियाभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, उसके हिसाब से कोरोना वायरस को खत्म होने में अभी सात साल का समय और लग सकता है।
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत समेत दुनिया भर में जारी टीकाकरण अभियान के बीच महामारी को लेकर दहलाने वाली खबर आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह दुनियाभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, उसके हिसाब से कोरोना वायरस को खत्म होने में अभी सात साल का समय और लग सकता है। ब्लूमबर्ग वैक्सीनेशन केलकुलेटर के मुताबिक वैश्विक हर्ड इम्यूनिटी के 75 फीसदी तक पहुंचने में इतना लंबा समय लगेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो प्रति दिन 40 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा रहा है। कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए अमेरिका की बात की जाए तो अभी तक अमेरिका की जनसंख्या के 8.7 फीसदी हिस्से को ही टीका लगा है। फिलहाल अमेरिका में रोजाना 13 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा रहा है। हालांकि धीरे-धीरे इस संख्या में बढ़ोतरी भी हो रही है। टीकाकरण की गति के अनुसार अमेरिका दुनिया में छठे नंबर है। वहीं अमेरिका के लिए हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की भविष्यवाणी 2022 रखी गई है।
वहीं इस बीच, इजराइल में टीकाकरण की गति देखकर पूरी दुनिया सकते में है। इजराइल पहले ही अपनी कुल जनसंख्या के 58.5 फीसदी आबादी को टीका लगा चुका है और अगले दो महीने में उसके हर्ड इम्यूनिटी को छूने की संभावना है। इसके बाद अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में स्थित छोटा सा द्वीप सेशेल्स टीकाकरण के मामले में दूसरे नंबर पर है। वहां अब तक 38.6 फीसदी जनसंख्या को टीका लगाया जा चुका है।
इसके बाद यूएई, ब्रिटेन और बहरीन का नंबर आता है, जिन्होंने भी अमेरिका को पछाड़ दिया है। इन तीनों देशों ने अब तक अपनी जनसंख्या की 11.8 फीसदी आबादी का टीकाकरण कर दिया है। ब्रिटेन में रोजाना 4.38 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा रही है। ब्रिटेन में इस साल के अंत से पहले तक हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर लेने की उम्मीद की जा रही है।
हालांकि, ये सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि दुनिया भर के देशों में दी जा रही कोरोना की अलग-अलग वैक्सीन कोरोना के मिल रहे नए वेरिएंट पर असरदार हैं या नहीं। बता दें कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में कोरोना का नया वेरिएंट मिला है। इससे पहले ब्रिटेन में भी कोरोना का नया स्ट्रेन मिला था।