केंद्र सरकार ने घाटे में चल रहे बीएसएनएल और एमटीएनएल का विलय करने का फैसला कर इन दोनों कंपनियों के करीब पौने दो लाख कर्मचारियों के सामने वीआरएस की पेशकश की थी। सरकार की इस पेशकश को बीएसएनएल के 93,000 और एमटीएनएल के करीब 80 फीसदी कर्मचारियों ने मान लिया है। लेकिन जो कर्मचारी बचे हैं उन्हें बीते दो महीने से और कांट्रेक्ट वर्कर को बीते 10 महीने से वेतन नहीं दिया गया है।
ऑल इंडिया यूनियंस एंड एसोसिएशन ऑफ बीएसएनएल के संयोजक पी अभिमन्यू ने नेशनल हेरल्ड से बातचीत में कहा कर्मचारियों को दिसबंर 2019 और जनवरी 2020 का वेतन अभी तक नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि, “हमें दो महीने से और कांट्रेक्ट वर्कर्स को 10 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। हमारी मांग है कि वेतन देने के साथ ही बीएसएनएल की 4जी सेवाएं भी शुरु की जाएं।”
पी अभिन्यू ने बताया कि, “मोदी सरकार ने बीएसएनएल के लिए सोवरीन बॉन्ड जारी कर बाजार से 8,500 करोड़ रुपए हासिल किए हैं, लेकिन यह बॉन्ड अभी तक बीएसएनएल को जारी नहीं किए हैं। ऐसे में हमने तय किया है कि हम संचार मंत्री को पत्र लिखकर उनका वादा याद दिलाएंगे।”
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा एमटीएनएल और बीएसएनएल का विलय कर कर्मचारियों को वीआरएस देने का कोई तीन महीने पहले ऐलान किया गया था। इसके बाद बीएसएनएल के 93,000 और एमटीएनएल के 80 फीसदी कर्मचारियों ने वीआरएस लेने की हामी भरी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीएसएनल के जिन कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए हामी भरी है उनमें ज्यादातर नॉन-एक्जीक्यूटिव केटेगरी के 55 से 60 वर्ष आयुवर्ग के कर्मचारी हैं। सरकार का तर्क है कि इससे बीएसएनएल पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होगा। साथ ही सरकार का इरादा बीएसएनएल की संपत्तियों को भी बाजार में बेचकर या किराए पर उठाकर पैसा जुटाने का है। इस तरह बीएसएनएल करीब 300 करोड़ रुपए जुटाने की कोशिश कर रहा है।
सरकार की वीआरएस पेशकश के मुताबिक इस योजना के तहत कर्मचारियों को सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए 35 दिन का और बाकी बचे सेवाकाल के प्रत्येक वर्ष के लिए 25 दिन का वेतन दिया जाएगा। वीआरएस की पहली किस्त मौजूदा वित्त वर्ष में और दूसरी किस्त अगले वित्त वर्ष में दी जाएगी। सरकार ने बीएसएनएल के वीआरएस भुगतान के लिए 2020-21 के बजट में 37,268 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
source: NavjeevanIndia