दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मिलकर संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ मुहिम के लिए उनकी और समूचे सिख समुदाय की हिमायत की पुरजोर गुजारिश की।
संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर पंजाब के मुसलमानों के बाद अब दूसरे प्रदेशों के मुसलमानों ने भी सर्वोच्च सिख धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से मुलाकात की है। गुरूवार को दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मिलकर, संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ मुहिम के लिए उनकी और समूचे सिख समुदाय की हिमायत की पुरजोर गुजारिश की। चारों राज्यों के मुस्लिम रहनुमाओं ने जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से लंबी बैठक में सीएए के तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार पंजाब के मुसलमानों के एक शिष्टमंडल ने श्री स्वर्ण मंदिर साहिब के गलियारे के बाहर जुमे की नमाज अदा करने के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से सीएए के मामले में दखल की मांग की थी। उनका आग्रह था कि पंथक मामलों में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार इस बाबत एक ‘हुकुमनामा’ जारी कर विश्व भर के सिख समुदाय को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को समर्थन देने का हुक्म दें।
तब जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पंजाब के मुस्लिम शिष्टमंडल को आश्वासन दिया था कि वह इस पर गंभीरता से विचार करेंगे। गुरूवार दोपहर बाद जत्थेदार और दूसरे प्रदेशों से आए मुस्लिम रहनुमाओं के बीच हुई बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने इन रहनुमाओं को नए सिरे से आश्वस्त किया है कि सिख समुदाय सीएए में उनके साथ बरते जा रहे भेदभाव और ज्यादतियों के मुद्दे पर उनके साथ है। वह जल्द ही इस बाबत औपचारिक ‘दिशा-निर्देश’ जारी करेंगे।
श्री अकाल तख्त साहिब सिखों की सबसे सम्मानित सर्वोच्च धार्मिक संस्था है और दुनिया भर के श्रद्धालु सिख इसके जत्थेदार का हुक्म बाखुशी मानते हैं। दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मेवात इलाके में मुस्लिम आबादी बड़ी तादाद में है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से इन राज्यों से आए मुस्लिम नेताओं की बैठक और गुहार खास मायने रखती है। इससे जाहिर होता है कि सीएए की खिलाफत में भारत के तमाम अल्पसंख्यकों की एकजुटता की गंभीर कवायद की जा रही है।
वहीं, शिरोमणि अकाली दल अभी भी सिखों का बड़ा राजनीतिक दल माना जाता है। बीजेपी से उसका गठबंधन फिलहाल तक कायम है, लेकिन संशोधित नागरिकता कानून पर फिर उसने यू-टर्न ले लिया है। शिरोमणि अकाली दल पर भी श्री अकाल तख्त साहिब का प्रभाव रहता है। वहां के किसी भी हुकमनामे की अवहेलना वह नहीं कर सकता। इस बीच शिरोमणि अकाली दल के दो राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ और प्रेम सिंह चंदूमाजरा खुलकर कह चुके हैं कि अकाली दल संशोधित नागरिकता कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं करने का विरोध करता है।
इसी मुद्दे पर अकाली दल ने दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा था। दीगर है कि बाद में जेपी नड्डा और सुखबीर सिंह बादल के बीच हुई मुलाकात के बाद शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली में बीजेपी को समर्थन देने की औपचारिक घोषणा कर दी। हालांकि उसका समर्थन रत्ती भर भी कारगर नहीं रहा और बीजेपी अंदर ही अंदर कह रही है कि अकालियों ने ‘दिल से’ साथ न देकर गठबंधन धर्म नहीं निभाया और धोखा दिया।
हालांकि, सुखबीर बादल के समर्थन देने की घोषणा के ठीक अगले दिन बलविंदर सिंह भूंदड़ और प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सीएए में मुसलमानों को शामिल करने की मांग फिर से उठा दिया था। अकाली दल के वरिष्ठ नेता और बादल परिवार के नजदीकी डॉ दलजीत सिंह चीमा ने भी मुखर होकर कहा है कि अकालियों को वह नागरिकता कानून किसी कीमत पर मंजूर नहीं होगा, जिसमें मुसलमान शामिल नहीं होंगे।
पंजाब से बाहर के प्रदेशों के मुसलमान शिष्टमंडल से श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की आज की मुलाकात के बाद यकीनन पंथक सियासी समीकरण बदलेंगे। कई गैर सियासी सिख पंथक और धार्मिक संगठन पहले ही सीएए का विरोध करते हुए पंजाब के मुसलमान संगठनों का सक्रिय साथ दे रहे हैं और दिल्ली के शाहीन बाग में भी खुलकर शिरकत कर रहे हैं। पंजाब के विभिन्न शहरों-कस्बों में सीएए के खिलाफ हो रहे रोष प्रदर्शनों और धरना रैलियों में आम सिख बड़ी तादाद में शिरकत कर रहे हैं। लंगर सेवा भी की जा रही है। ऐसे में कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुसलमान रहनुमाओं का श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से मिलना अपने आप में सिख समुदाय के लिए एक खास ‘संदेश’ की मानिंद है।
यों श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भाई गोविंद सिंह लोंगोवाल पहले भी नागरिकता संशोधन विधेयक में मुसलमानों को शामिल न करने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख के भारत के ‘हिंदू राष्ट्र’ वाले बयान की खुली आलोचना कर चुके हैं। देखना यह है कि गुरुवार को अन्य प्रदेशों से आए मुस्लिम रहनुमाओं और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के बीच हुई अहम बैठक का शिरोमणि अकाली दल पर क्या असर पड़ता है।
source: QaumiAwaz