कहावत है, ‘खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है’ और बाराबंकी के किसान अमरेंद्र सिंह ने अपने खेत में इसे चरितार्थ कर दिया है। उसके खेत में पांच रंगों के तरबूजे हैं। कोरोना काल में उनका यह अभिनव प्रयोग लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कहावत है, ‘खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है’ और बाराबंकी के किसान अमरेंद्र सिंह ने अपने खेत में इसे चरितार्थ कर दिया है। उसके खेत में पांच रंगों के तरबूजे हैं। कोरोना काल में उनका यह अभिनव प्रयोग लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आस-पास के गांवों से लोग इन तरबूजों को देखने आते हैं। ये तरबूजे न केवल रंग-बिरंगे हैं, बल्कि सेहत में परंपरागत तरबूजों से मीठे और पौष्टिक भी हैं। इसकी खेती देखने के लिए दूर-दराज से लोग आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के सूरतगंज ब्लॉक का दौलतपुर गांव यूं तो सुमली नदी से लगा हुआ है, मगर यहां के किसानों को ज्यादातर बारिश और निजी सिंचाई पर ही निर्भर रहना पड़ता है। पानी बचाने के लिए अमरेंद्र ने ड्रिप लगा रखा है। खेत में जहां तक संभव है, वह कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं।
अमरेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस को बताया कि वह तरबूज की खेती पांच साल से कर रहे हैं। लेकिन इस इस बार नयी वैराइटी के तरबूज लगाए। जिन पांच प्रजातियों को उन्होंने लगाया है उनके नाम हैं अनमोल, विशाला ,मन्नत, सरस्वती, अरोही की मुख्य किस्में है। उन्होंने नानयू इंडिया यह मूल रूप से ताइवान की कंपनी है। इसे बीज लेकर अमरेन्द्र ने रंग-बिरंगे तरबूज उगाये हैं। यह फरवरी में लगाया जाता है और मई-जून में तोड़ा जाता है।
उन्होंने बताया कि 75 बीघे में तरबूज की खेती करने में करीब 6 लाख रुपये की लागत आई है। इस सीजन उन्होंने अब तक करीब दो हजार कुतल तरबूज बेचा है, जिसमें 7 लाख रुपये की बचत हुई है। अगर लॉकडाउन न होता तो यह करीब 10 लाख रुपये का मुनाफा देता।
अमरेंद्र ने बताया कि उनके उपजाए तरबूज आम तरबूजों की अपेक्षा काफी मंहगे बिकते हैं। विशाला, आरोही, अनमोल जैसी किस्मों की सर्वाधिक मांग रहती है। लिहाजा, ये मंहगे भी हैं। आरोही 20 रुपये प्रति किलो मंडी में बेचा जाता है। जबकि अनमोल 15 से 18 रुपये के बीच की दर पर बेचा जाता है। यह पूर्वाचल से लेकर नेपाल तक जाता है। इसे लखनऊ, सुल्तानपुर, वाराणसी की मंडी में इसे भेजा जा रहा है। इसमें करीब 25-30 लोग नियमित लोग काम करते रहे हैं। इसके अलावा बिहार के फंसे 15-20 लोगों को लॉकडाउन में यहां डेढ़ माह रोजगार दिया गया।
अमरेंद्र ने बताया कि अनमोल नाम के तरबूज का रंग बाहर से हरा होता है, लेकिन अंदर से नींबू के रंग का होता है। इसका स्वाद भी शहद जैसा होता है। इसी तरह विशाल किस्म का तरबूज बाहर से पीला रंग होता है, अंदर से सुर्ख लाल और बहुत मीठा होता है। आरोही किस्म ऊपर से काला होता है और अंदर का रेशा सोने जैसा चमकीला होता है। सरस्वती किस्म का तरबूज आम तौर पर बाजार में पाया जाता है। इसी तरह मन्नत किस्म का तरबूज भी छोटे आकार का और अंदर से लाल होता है।