नयी दिल्ली। अपनी एक फेसबुक पोस्ट को लेकर राजद्रोह का मुक़दमा झेल रहे दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन डॉक्टर ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान पर जल्द गी गाज गिर सकती है। उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें पद से हटाया जा सकता है। दिल्ली सचिवालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ दिल्ली सरकार ने ज़फरुल इस्लाम ख़ान को हटाने मन बना लिया है और इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। हफ़्ते भर में उन्हें हटाने पर फैसला हो सकता है।
बता दें कि ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान का कार्यकाल 17 जुलाई तक है। उन्होंने 20 जुलाई 2017 को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन का पद संभाला था। इस लिहाज़ से वो 19 जुलाई 2020 चेयरमैन बने रह सकते हैं। लेकिन 18 जुलाई को शनिवार है और 19 रो रविवार। दिल्ली में हफ्ते में पांच दिन ही काम होता है। इस लिहाज़ से उनका कार्यकाल 17 जुलाई(शुक्रवार) को ख़त्म हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक़ दिल्ली सरकार पहले उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाने के मूड में नहीं थी। लेकिन उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने के बाद उन्हें हटाने का मन बनाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक़ दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार को डॉ. खान से संबंधित फाइल भेजकर इस पूरे मामले में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) अधिनियम के सेक्शन 4 के तहत कार्रवाई करने को कहा है। बता दें कि सेक्शन 4 के सब-सेक्शन 4 में इस बात का उल्लेख है कि किन परिस्थितियों में आयोग के चेयरमैन या किसी सदस्य को हटाया जा सकती है। इसमें साफ़ लिखा है कि पद के दुरुपयोग, उसकी गरिमा के ख़िलाफ़ करने पर चेयरमैन या किसी भी सदस्य को हटाया जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक़ उपराज्यपाल की चिट्ठी के बाद ही दिल्ली सचिवालय इस मामले को लेकर हरकत में आया।
दिल्ली सरकार के सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम ख़ान की फेसबुक पोस्ट और ट्वीट पर मीडिया के एक धड़े के उन्हें बर्ख़ास्त किए जाने की मांग से सरकार दबाव में थी। उम्मीद की जा रही थी कि डॉ ख़ान की सफाई के बाद मामला ठंडा पड़ जाएगा। लेकिन इस बीच दिल्ली के वसंत विहार थाने में उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद मामला गर्म हो गया। उपराज्यपाल की चिट्ठी आने के बाद दिल्ली सरकार ने इस पूरे मामले पर ज़फ़रुल इस्लाम से स्पष्टीकरण मांगा है। डॉ. ज़फरुल इस्लाम ख़ान के साथ आयोग) से भी इस पूरे मामले अपना रुख़ साफ़ करने को कहा गया है
ख़बर यह भी है कि इस पूरे मामले में दिल्ली सरकार ने एक आंतरिक समिति भी गठित की है। यह समिति इस पूरे मामले में सरकार को रिपोर्ट देगी कि क्या ज़फ़रुल इस्लाम की विवादित फेसबुक पोस्ट और असके आधार पर उनके ख़िलाफ़ दर्ज किया गया देशद्रोह का मुक़दमा उन्हें उनके पद से हटाए जाने का आधार बनता है? सूत्र बताते हैं कि इन तमाम चीजों को देखने के बाद जल्दी ही डॉ. ज़फरुल इस्लाम ख़ान को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन के पद से हटाने का फ़रमान आ सकता है। सूत्रों के मुताबिक़ दिल्ली सरकार मन बना चुकी है बस देखना यह है कि फ़ैसले का ऐलान कब करती है।
बता दें कि इस मामले में दिल्ली सरकार की काफ़ी किरकिरी हो चुकी है। कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सरकार की तरफ़ से दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम को नोटिस जारी किया जा चुका है। लेकिन सूत्रों का दावा है कि उस वक्त तक दिल्ली सरकार की तरफ से डॉ. ख़ान को कोई नोटिस नहीं भेजा गया था। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार के वकील ने बाद में अपनी ग़लती सरकारी स्तर पर स्वीकार भी कर ली थी, लेकिन अब सरकार की तरफ से नोटिस भेजा जा चुका है।
दिल्ली सरकार को कोई भी कार्रवाई करने से पहले डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान के जवाब का इंतेज़ार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉक्टर ज़फ़रुल इस्लाम अपने बचाव में क्या जवाब देते है? यह देखना और भी दिलचस्प होगा कि जिस आयोग के वो चेयरमैन हैं वो आयोग आयोग उनके बारे में सरकार को क्या रिपोर्ट सौंपता है? इसके साथ ही सरकार की तरफ़ से गठित की गई समिति इस पूरे मामले में सरकार को क्या रिपोर्ट देती है? लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार ने चेयरमैन को हटाने का पूरा मन बना लिया है। लिहाज़ा यह तय माना जा रहा है कि अब डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे।
दरअसल डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान दिल्ली सरकार के निशाने पर उसी वक़्त आ गए थे जब उन्होंने दिल्ली हिंसा के दौरान दिल्ली की केजरीवाल सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। तब उन्होंने कहा था कि दिल्ली हिंसा में केजरीवाल मुसलमानों के जान-माल की रक्षा करने में नाकाम रही है। तब दिल्ली सरकार के भीतर से उन्हें उनके पद से बर्खास्त करने की मांग उठी थी। लेकिन उस वक़्त दिल्ली सरकार ने शायद यह सोचकर उन्हें नहीं हटाया था कि कि इससे मुसलमानों के बीच ग़लत संदेश जा सकता है। दिल्ली सरकार ने उनके इस बयान पर अपनी सख़्त नराज़गी ज़रूर जताई थी। तब डॉ. ख़ान कई दिन तक दफ़्तर भी नहीं गए थे।
अब उनके भारतीय मुसलमानों के लिए अरब देशों से समर्थन मांगने वाली विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद मचे वबाल से दिल्ली सरकार को उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का मौक़ा मिल गया है। ऐसा करके केजरीवाल सरकार एक तीर से दो निशाने साध सकती है। एक तो वो केंद्र सरकार की इच्छापूर्ति कर सकती है। दूसरे दिल्ली में अपने उस बड़े वोटबैंक को खुश कर सकती है जिसकी सोच भाजपा की विचारधारा के नज़दीक है लेकिन दिल्ली में वो केजरीवाल के साथ है।
यूसुफ़ अंसारी, Twocircles.net