दुनिया के सभी देश एकजुट हो संक्रमण को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका, चीन और जर्मनी इस घातक वायरस को जड़ से खत्म करने वाली प्रक्रिया के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं।
दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस वायरस से अब तक 4,737,926 लोग संक्रमित हैं, वहीं इस वायरस से मरने वालों की संख्या 313,636 हो चुकी है। उधर, कोरोना वायरस के कारण दुनिया के तमाम देश संघर्ष कर रहे हैं। वैसे तो दुनिया का हर देश इस वायरस से छुटकारा पाने के लिए तेजी से रिसर्च कर रहा है लेकिन अब तक इसके खात्मे में किसी तरह की सफलता नहीं मिली है। कुल 8 वैक्सीन की क्लिनिकल ट्रायल की जा रही है वहीं अन्य 110 वैक्सीन पूरी दुनिया में विकास के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, दुनिया के सभी देश एकजुट हो संक्रमण को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका, चीन और जर्मनी इस घातक वायरस को जड़ से खत्म करने वाली प्रक्रिया के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं। मौजूदा हालात में अमेरिका और चीन समेत अनेकों देशों ने वैक्सीन तैयार करने को लेकर तारीखों को ऐलान कर दिया है। शनिवार को चीन के स्वास्थ्य अधिकारी झांग वेनहोंग ने कहा है कि 2021 के मार्च में कोरोना वायरस के खात्मे के लिए वैक्सीन बना ली जाएगी।
उन्होंने बताया, ‘वैक्सीन को विकसित करने में काफी अनिश्चितता है। MERS व SARS समेत कोरोना वायरस के खात्मे के लिए अब तक कोई बेहतर वैक्सीन का विकास नहीं किया जा सका है। हालांकि यदि एक भी वैक्सीन इसके लिए प्रभावी हो सकी तो उसकी संभावना अगले साल मार्च से जून माह तक ही हो सकेगी।’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के वर्चुअल टाउन हॉल में बताया,’मेरा मानना है कि इस साल के अंत तक हमें वैक्सीन मिल जाएगी।’ इसी तरह दुनिया के और भी कई देशों की ओर से यही दावा किया जा रहा है कि शीघ्र ही वैक्सीन तैयार हो जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि खुले में कीटाणुनाशक (डिसइन्फेक्टेंट) छिड़कने से कोरोनावायरस नहीं मरता, बल्कि ऐसा करना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि गलियों और बाजारों में डिसइन्फेक्टेंट के स्प्रे या फ्यूमिगेशन से फायदा इसलिए नहीं होता, क्योंकि धूल और गंदगी की वजह से वह निष्क्रिय हो जाता है। यह भी जरूरी नहीं कि केमिकल स्प्रे से सभी सतह कवर हो जाएं और इसका असर उतनी देर रह पाए जितना रोगाणु को खत्म करने के लिए जरूरी होता है।