जानलेवा कोरोना वायरस से पूरी दुनिया ने काफी कुछ सीखा है। इस वायरस ने दुनिया को भविष्य में आने वाले संकट से वर्तमान में ही तैयारी करने की जो सीख दी है उसका असर भविष्य में जरूर दिखाई देगा। कोरोना संकट के चलते दुनिया के कई देशों में जारी लॉकडाउन ने भी सरकारों और लोगों को कुछ बातें जानने और समझने का मौका दिया है। ये बातें वो हैं जिनको अभी तक ज्यादातर लोग नकारते आ रहे थे।
उनका मानना था कि ऐसा हो ही नहीं सकता है। लेकिन ऐसा हुआ है। इसलिए यहां पर ये कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया में कोई भी चीज बेवजह या पूरी तरह से गलत नहीं हो सकती। हर चीज में कुछ न कुछ सीख छिपी होती है जो समय के साथ-साथ सामने आती है। चलिए बताते हैं इससे हमनें अब तक क्या सीखा..
- कोरोना वायरस के चलते दुनिया को भविष्य में आने वाले ऐसे खतरों से आगाह कराया है जिसके लिए हमें हर वक्त तैयार रहना होगा।
- ऐसे खतरों से निपटने के लिए वर्तमान में तैयारियां भी बड़े पैमाने पर करनी होंगी।
- कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया के कदमों को रोका तो जरूर लेकिन साथ ही ही विभिन्न देश एक दूसरे देश की मदद को भी आगे आए।
- कोरोना ने पूरी दुनिया को आर्थिक चपत तो लगाई लेकिन मानवता को बचाने का लक्ष्य सभी देशों को साथ लेकर आया और अर्थव्यवस्था में मंदी की परवाह न करते हुए सभी ने जरूरी कदम उठाए।
कोरोना की वजह से भविष्य में जो बदलावों के संकेत इस दौरान दिखाई दिए हैं वो भी काफी अहम हैं। भविष्य में भी इन्हें नकारना संभव नहीं होगा। ऐसे पांच बड़े बदलाव भविष्य में काफी अहम होंगे जो दुनिया को नई दिशा देंगे और तरक्की की राह पर आगे ले जाएंगे।
- कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में लॉकडाउन होने के बाद भविष्य में होने वाली अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय बैठकों के लिए बड़े पैमाने पर तामझाम करने की जरूरत नहीं होगी। मौजूदा समय ने इस बात का अहसास पूरी दुनिया को करा दिया है। इसके लिए भविष्य में वीडियो कांफ्रेंसिंग एक बड़ा जरिया बनकर सामने आएगी। इसकी वजह से भविष्य में नेटवर्क की समस्या पर लगाम लगेगी और हाईस्पीड नेटवर्क को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में टिके रहने के लिए कंपनियों को इस दिशा में कदम उठाने जरूरी होंगे।
- इस तरह की बैठकों के वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने का एक दूसरा बड़ा फायदा आसमान में मंडराते वीवीआईपी जहाजों की उड़ानों और इनके खर्च समेत इनके इर्द-गिर्द होने वाले कई तरह के तापझाम भी मुमकिन है खत्म या कम हो जाएंगे। इन छोटे ही सही लेकिन बड़े पैमाने पर होने वाले खर्चों पर भविष्य में लगाम लगाई जा सकेगी। इतना ही नहीं इस तरह के वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान आम लोगों को होने वाली परेशानियों से भी काफी हद तक निजात मिल जाएगी। इतना ही नहीं इनसे होने वाली बचत को देश के दूसरी जरूरतों पर खर्च किया जा सकेगा।
- भविष्य की बैठकों या रोजमर्रा के जीवन में भी लोगों को हाथ मिलाने से ज्यादा नमस्ते करते हुए देखा जा सकेगा। कोरोना के इस जानलेवा दौर में भारत की इस परंपरा को दुनिया के कई देशों ने अपनाया है और इसको संक्रमण से बचाव का एक अच्छा तरीका भी माना है। हालांकि आपको ये भी बता दें कि दुनिया के कुछ देशों में हाथ मिलाने से अधिक वहां के अपनी परंपरा के मुताबिक व्यक्ति का अभिवादन करने का चलन है। जैसे जापान में सिर और शरीर के आधे हिस्से को झुकाकर व्यकित का अभिवादन किया जाता है। भविष्य में ये परंपराएं एक देश की सीमाओं के बंधन को तोड़ती हुई दिखाई देंगी।
- कोरोना वायरस ने दुनिया को घर में बैठकर काम करने की जो सीख दी है वो भले ही पश्चिम के या विकसित देशों में पुरानी हो, लेकिन विकासशील देशों में ये अब तक नई है। इन देशों में इस जानलेवा समय के दौरान इसका व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। भविष्य में इसका इस्तेमाल भी काफी बड़े पैमाने होगा।
- कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में खासकर एशिया के देशों में जेसे चीन, पाकिस्तान भारत और दूसरे देशों में भी एक चीज बेहद साफतौर पर सामने आई है। ये है स्वच्छ वातावरण। इसको हर जगह महसूस किया जा सकता है। इसकी तुलना यदि बीते वर्षों में इन्हीं दिनों से करें तो पता चलता है कि भारत और पाकिस्तान में फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसलों के बेकार भाग को जलाकर नष्ट किया जाता है। इसकी वजह से बीते कुछ वर्षों से लगातार उत्तरी भारत में प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा रहा है। भारत-पाकिस्तान-चीन की बात करें तो बीते कुछ वर्षों में सामने आईं यहां की कुछ तस्वीरें प्रदूषण के लिहाज से बेहद डराने वाली लानी रही हैं। लेकिन कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद इन सभी देशों में हवा बेहद साफ हुई है। सड़कों पर वाहन नहीं हैं। लोगों ने महसूस किया है कि बेवजह बाहर निकलना और वाहनों को सड़कों पर लाना सही नहीं है। लोगों ने घरों और अपनों के महत्व को भी जाना है। इसको देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में सरकारें प्रदूषण को कम करने के इस तरह के कदम उठा सकेंगी और लोगों की इनमें भागीदारी भी हो सकेगी। अब तक इस मुद्दे को राजनीतिक तूल दिया जाता रहा है लेकिन मुमकिन है कि आने वाले वाले समय में सभी इसकी जरूरत को समझ सकेंगे
source: Jagran.com