भारत-पाकिस्तान के बीच यदि परमाणु युद्ध हुआ तो आधुनिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो सकता है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। पीएनएएस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि इस युद्ध से अचानक वैश्विक शीतलन की स्थिति पैदा सकती है। साथ ही, कम बारिश और धूप न दिखाई देने से लगभग एक दशक तक दुनियाभर में खाद्य उत्पादन और व्यापार बाधित हो सकता है।
अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी-न्यू ब्रूनस्विक के शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका असर 21 वीं सदी के अंत तक मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से अधिक होगा। उनका मानना है कि हालांकि, कृषि उत्पादकता पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है, लेकिन वैश्विक फसल विकास के लिए इसके अचानक ठंडा होने की संभावनाएं बहुत कम हैं।
रटगर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह-लेखक एलन रोबॉक ने कहा, ‘हमारे नतीजे उन कारणों के बारे में बताते हैं, जो परमाणु हथियारों को खत्म करने की जरूरत पर बल देते हैं। क्योंकि अगर वे मौजूद हैं तो उनका इस्तेमाल पूरी दुनिया को दुखद परिणाम दे सकता है।’ उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल इतना भयानक होगा कि इसके कारण मरने वालों की संख्या अकाल से होने वाली मौतों से भी ज्यादा होगी।
रोबॉक ने हाल ही में ‘जर्नल साइंस एडवांस’ में प्रकाशित एक अध्ययन में बतौर सह-लेखक कहा था कि अनुमान लगाया था कि यदि भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध छेड़ते हैं तो भुखमरी के कारण विश्वभर में एक करोड़ से ज्यादा लोग तुरंत मर सकते हैं।
1.8 डिग्री सेल्सियस कम हो जाएगा तापमान
नए अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऊपरी वायुमंडल में छोड़े गए 50 करोड़ टन धुएं के परिदृश्य का उपयोग किया, जो केवल 100 परमाणु हथियारों का उपयोग करने के परिणामस्वरूप बन सकता है। अध्ययन में पाया गया कि यह पृथ्वी को 1.8 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा कर सकता है और कम से कम पांच वषरें के लिए वर्षा और धूप को आठ फीसद तक कम सकता है।
ज्यादा कैलोरी वाली फसलों पर पड़ेगी मार
कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिये शोधकर्ताओं ने फसलों पर इसके प्रभावों का आकलन करने पर पाया कि परमाणु युद्ध से पांच वर्षो में मकई के उत्पादन में 13 फीसद, गेहूं में 11 फीसद , चावल में तीन फीसद और सोयाबीन में 17 फीसद तक की गिरावट आएगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि पहले साल 12 फीसद खाद्यान्न की कमी दर्ज की जाएगी जो इतिहास में अब तक दर्ज की गई कमी का चार गुना ज्यादा होगी। इससे भयानक सूखा और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं भी सामने आएंगी।
खत्म हो सकते हैं खाद्य भंडार
शोधकर्ताओं ने कहा कि खाद्य व्यापार नेटवर्क के विश्लेषण से पता चलता है कि घरेलू भंडार और वैश्विक व्यापार बड़े पैमाने पर पहले वर्ष में खाद्य उत्पादन के नुकसान को रोक सकते हैं। लेकिन उसके बाद घरेलू खाद्य उपलब्धता कम हो जाएगी और लोगों को भोजन भी नहीं मिल पाएगा, जिससे स्थिति विकट हो सकती है। अध्ययन में पाया गया कि पांच साल तक मकई और गेहूं की उपलब्धता में वैश्विक स्तर पर 13 प्रतिशत की कमी होगी।
तीन गुना ज्यादा बड़ा हो सकता है प्रभाव
बता दें कि मकई के उत्पादन में अमेरिका और कनाडा की हिस्सेदारी वैश्रि्वक स्तर 40 फीसद से अधिक। यदि युद्ध होता है तो यह घटकर 17.5 फीसद से भी कम हो जाएगी। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध से 160 करोड़ टन धुआं उठ सकता है क्योंकि दोनों देशों के पास बड़े हथियार हैं। इसका मतलब है कि इसका प्रभाव तीन गुना बड़ा हो सकता है।
source:Jagran.com