टेक्नोक्रेट आलोक सिंह ने एक ऐसा मोबाइल एप बनाया है, जिससे बोरवेल में गिरने वाले बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकेगी। भूगर्भ जल विभाग के अनुमान के मुताबिक करीब देश भर में 2.70 करोड़ बोरवेल हैं। पिछले कुछ सालों में 40 बच्चों की मौत बोरवेल में गिरने से हुई। बोरवेल को ढकने के लिए इस एप के जरिये उनकी तस्वीरें और लोकेशन जमा की जाएंगी। जिसके बाद आलोक सिंह और उनकी टीम संबंधित जिले के अधिकारियों के माध्यम से सूखे बोरवेल को बंद करवाएंगे। लोगों को इस एप को डाउनलोड कर के उस पर बोरवेल की जानकारी देनी होगी। ये पूरा डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इस एप का नाम बोरवेल सेफ चाइल्ड है। ये गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है।
खासतौर पर उत्तर भारत के गांवों में अनुपयोगी बोरवेल को जस का तस छोड़ दिया जाता है। बोरवेल का आवरण (आमतौर पर कच्चे लोहे का बना हुआ) हटा दिया जाता है और पीवीसी पाइप को बाहर निकाल दिया जाता है। जिससे एक बेहद गहरा और खतरनाक छेद बाकी रह जाता है। ऐसे बोरवेल अनेक बच्चों की मौतों का कारण बन चुके हैं। इस एप को बनाने वाले आलोक सिंह बताते हैं कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के अनुसार गांवों में बच्चों के लिए ये प्राणघाती और घातक दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के अनुसार, मौतें न हो इसको सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका खुले बोरवेलों की पहचान करना और उन्हें भरना है।
कुछ हादसे जो भुलाए नहीं भूलते
- जून 2019 में, पंजाब के भगवानपुरा के दो वर्षीय फतेहवीर सिंह की मौत।
- मई 2019 में, राजस्थान के जोधपुर की चार वर्षीय सीमा की भी बोरवेल में गिरने से मौत हुई।
- पिछले कुछ वर्षों में बोरवेल में गिरने से 40 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है।
- बचाव अभियान 70 फीसद मामलों में विफल रहा हैं।
एप के जरिये ये होगी पहल
आलोक सिंह बताते हैं कि बोरवेल के लिए कोई राष्ट्रीय स्तर का डेटाबेस मौजूद नहीं है। बोरवेलों की संख्या, अनुपयोगी बोरवेलों की संख्या और उनके मालिक का डेटाबेस तैयार करने की जरूरत है। उनका संगठन सर्वेभ्यो फाउंडेशन इस पर काम कर रहा है। जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी खुले बोरवेल की रिपोर्ट कर सकता है। जीपीएस लोकेशन और बोरवेल की तस्वीर सर्वर पर जमा की जाएगी। यहां से सूचना संकलित होगी। जिसके बाद सिंचाई विभाग, संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और किसी भी अन्य सरकारी विभाग से संपर्क किया जाएगा। जिससे बोरवेल बंद किया जा सके।
ऐसे करें इंस्टॉल
ये एप बोरवेल चाइल्ड सेफ नाम के प्लेस्टोर पर है। एप स्वचालित रूप से जीपीएस स्थान को खुद कवर कर लेता है। स्पॉट की तस्वीर के लिए अनुरोध करता है और सूचना को सर्वभ्यो सर्वर को भेजता है। \Rhttps://play.google.com/store/apps/details?id=com.skyracle.sarvebhyo लिंक पर जाकर आसानी से एप डाउनलोड हो सकता है।
source: Jagran.com