स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को प्रवासी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे लॉकडाउन की स्थिति में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक संकट से गुजर रहे हैं। बता दें कि ऐसे प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली चिंताओं का संबंध भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, संक्रमित होने का डर या संक्रमण फैलने, मजदूरी का नुकसान, परिवार के बारे में चिंता और भय से संबंधित है।
मंत्रालय ने एक दस्तावेज में कहा, ‘कभी-कभी, उन्हें स्थानीय समुदाय के उत्पीड़न और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना पड़ता है। यह सब मजबूत सामाजिक सुरक्षा की मांग को मजबूत करता है।’ आगे कहा गया कि प्रवासी श्रमिकों को अस्थायी आश्रयों में कुछ दिन बिताने के लिए ले जाया जाता है, जिनमें आइसोलेशन वार्ड भी हैं। श्रमिकों के दिमाग विभिन्न समस्याओं से उपजी चिंताओं और आशंकाओं से भरे हुए हैं और उनकी आवश्यकता होती है मनो-सामाजिक सहयोग।
वहीं, उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के समर्थन के तहत मंत्रालय ने कुछ उपायों को सूचीबद्ध किया जिसमें प्रत्येक प्रवासी कार्यकर्ता का सम्मान, सहानुभूति और करुणा के साथ व्यवहार करना शामिल है। हर व्यक्ति को यह आश्वस्त करना की उनका परिवार ठीक है और उन्हें हर चीज मुहैया कराई जा रही है। उन्हें यह बताना कि ज्यादा दिन तक यह स्थिति नहीं रहेगी और सब ठीक होगा। जल्द ही सामान्य जीवन फिर से शुरू होगा।
मंत्रालय ने कहा कि दूसरी जगह काम करने आए लोगों के वर्तमान स्थान में उनके रहने के महत्व पर जोर दें। यह भी कहा कि उन्हें समुदाय में उनके महत्व को महसूस कराने से लेकर समाज में उनके योगदान की सराहना करनी चाहिए। उन्हें याद दिलाएं कि उन्होंने अपने प्रयासों से अपनी जगह बनाई है और सभी सम्मान के लायक हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘आश्वस्त करें कि भले ही उनके कंपनी या मालिक उन्हें कोई मदद ना करे लेकिन स्थानीय प्रशासन और अन्य संस्थान हर संभव मदद करेंगे।’ बता दें कि सरकार ने एक जगह से दूसरे जाने के लिए सख्ती दिखाई है और कई तरह से आदेश पारित किए हैं। जिससे दूसरे शहरों और राज्यों में काम करने गए लोगों को घर वापस आने में दिक्कत हुई, लेकिन अब पूर्ण रूप से कह दिया गया है कि जो जहां हैं, वहीं रहे। वहीं उनका बंदोबस्त किया जाएगा।
source: Jagran.com