भारत मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात केवल विदेशी सरकारों को करेगा, निजी कंपनियों को इसे नहीं बेचा जाएगा। मौजूदा समय में इस दवा की बहुत अधिक मांग है। इस दवा को निर्यात के लिए प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक पुरानी और सस्ती दवा है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। भारत वैश्विक स्तर पर इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
बता दें कि इस दवा का निर्यात पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन सरकार कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने की अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता के चलते इसका निर्यात करेगी। सूत्रों ने कहा, ‘Hydroxychloroquine पर अभी भी प्रतिबंध है। निजी कंपनियों से निजी कंपनियों को या एक घरेलू निर्यातक से विदेशी आयातक को इस पर व्यापार प्रतिबंधित है। सरकार जो प्रक्रिया अपना रही है, उसका मकसद उन देशों की मदद करना है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है या जो पहले से इस दवा के लिए भारत पर निर्भर हैं, इसमें नेपाल, श्रीलंका और भूटान जैसे मित्र देश शामिल हैं।’
जिन देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का आयात करना है, उन्हें विदेश मंत्रालय के जरिए अपना आवेदन देना होगा। इसके बाद औषधि विभाग उस देश द्वारा मांगी गई मात्रा का आकलन करेगा और भारत में उपलब्धता तथा भारत के हितों के साथ समझौता किए बिना विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) को लाइसेंस देने या खेप जारी करने के लिए विभाग सीमा शुल्क अधिकारियों को इजाजत देने की सिफारिश करेगा। डीजीएफटी वाणिज्य मंत्रालय के तहत आता है और निर्यात या आयात के लिए लाइसेंस या अनुमति या अनापत्ति प्रमाणपत्र देता है।
भारत ने 25 मार्च को कुछ अपवादों के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में चार अप्रैल को बिना किसी अपवाद के इसके निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। इस दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जा रहा है।
source: Jagran.com