असम में जो फाइनल एनआरसी तैयार हुआ है उसमें बहुत से संदिग्ध नाम शामिल कर लिए गए हैं। इनका पता लगने के बाद एनआरसी कोआर्डिनेटर ने सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर एक दिन में इन सभी नामों को हटाने को कहा है।
असम एनआरसी के डेटा तक पहुंच बंद होने की खबर के बाद नया खुलासा हुआ है। ताजा खबर यह है कि एनआरसी जारी होने के बाद भी बहुत से ऐसे लोगों के नाम इसमें शामिल कर लिए गए हैं जो संदिग्ध हैं। इस बारे में अब असम के सभी जिलाधिकारियों को चिट्ठी भेजी गई है।
अस में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के कोऑर्डिनेटर हितेश देव शर्मा ने असम के सभी डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स को एनआरसी में संदेहास्पद नामों को शामिल किये जाने पर पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि ‘संदिग्ध मतदाताओं के नाम एनआरसी में गलत तरीके से जोड़ लिये गए हैं। पत्र में कहा गया है कि, ‘फाइनल एनआरसी की सूची में अयोग्य लोगों का नाम शामिल कर लिया गया है।’ यह पत्र 19 फरवरी को लिखा गया है।
पत्र के मुताबिक सभी डिप्टी कमिश्नर को उन अयोग्य लोगों की जानकारी मुहैया कराने को कहा गया है जिनके नाम एनआरसी में शामिल कर लिए गए हैं । रोचक यह है कि यह सारी जानकारियां देने के लिए सिर्फ एक दिन का समय दिया गया था। इस पत्र क जवाब में डिप्टी कमिश्नरों ने क्या जवाब दिया है अभी इसकी जानकारी नहीं है।
पत्र में असम एनआरसी के को-ऑर्डिनेटर ने ‘डिस्ट्रिक्ट डीसी से मामले को महत्वपूर्ण और आवश्यक मानते हुए तुरंत जानकारी मुहैया कराने को कहा क्योंकि उनसे मिली ‘जानकारी को भारत के रजिस्ट्रार जनरल-यानी आरजीआई को सूचित करना होगा।’ कोआर्डिनेटर हितेश देव शर्मा ने कहा है कि ‘यह उनकी जानकारी में आया है कि 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद, अयोग्य व्यक्तियों के कुछ नाम जिसमें विशेष रूप से संदिग्ध मतदाताओं, घोषित विदेशियों और उन व्यक्तियों के नाम शामिल कर लिये गए हैं, जिनके मामले फॉरन ट्रिब्यूनल में लंबित हैं।’ चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि ‘ऐसे व्यक्तियों की एक सूची पहले ही डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स को साझा की जा चुकी है।
गौरतलब है कि असम में अंतिम यानी फाइनल एनआरसी को 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित किया गया था। एनआरसी के लिए अर्जी फॉर्म हासिल करने की प्रक्रिया मई 2015 के अंत के दौरान शुरू हुई और 31 अगस्त 2019 को समाप्त हुई। इसमें कुल 3 करोड़ 30 लाख 27 हजार 661 लोगों की तरफ से 68 लाख 37 हजार 660 अर्जियां आईं। इनकी जांच आदि के बाद कुल 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों के नाम फाइनल एनआरसी में शामिल होने के योग्य पाए गए, जबकि 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए।
ध्यान रहे कि असम के फाइनल एनआरसी का बीजेपी भी विरोध कर रही है क्योंकि अपुष्ट जानकारी के मुताबिक जिन 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हुए हैं उनमें से करीब 12 लाख हिंदू हैं।
फाइनल एनआरसी प्रकाशित होने के बाद से ही असम की बीजेपी सरकार और एनआरसी मामले की मूल याचिकाकर्अता असम पब्लिक वर्क्स इसका विरोध कर रही है। इनका मानना है कि फाइनल एनआरसी सही नहीं है। असम सरकार ने इसके दोबारा पुष्टिकरण की मांग की है। असम पब्लिक वर्क्स ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर पूरे एनआरसी की प्रक्रिया दोबारा कराने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस एनआरसी में 80 लाख विदेशी शामिल कर लिए गए हैं जिनमें जिहादी भी हैं।
गौरतलब है कि अभी 12 फरवरी को खबर आई थी कि असम एनआरसी का पूरा डेटा ऑफलाइन हो गया क्योंकि डेटा स्टोर करने वाली कंपनी विप्रो को उसकी फीस का भुगतान नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक एनआरसी का वह सारा डेटा जिसे देखकर पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति का नाम इसमें है या नहीं, वह अभी तक पहुंच से बाहर है।
इसके अलावा पिछले साल 31 अगस्त को फाइनल एनआरसी प्रकाशित होने के बावजूद अभी तक उनमें से किसी भी व्यक्ति को उनकी अर्जी खारिज होने की स्लिप नहीं मिली है जिनके नाम एनआरसी में नहीं आ पाए हैं। ये स्लिप मिलने के बाद ही कोई व्यक्ति इस मामले को चुनौती दे सकता है।
source: NavjivanIndia