भारतीय जनता पार्टी ने संशोधित नागरिकता कानून पर आधारित ‘संघी राष्ट्रवाद’ को दिल्ली चुनाव में खुलकर दांव पर लगा दिया, लेकिन दिल्ली की जनता ने बीजेपी की बाजी ही उलट दी। दरअसल दिल्ली चुनाव के परिणाम बीजेपी की करारी हार ही नहीं है, बल्कि यह तो भारतीय जनता पार्टी और संघ की राजनीति की खुली हार है।
कारण यह है कि दिल्ली ने ध्रुवीकरण की राजनीति ठुकरा कर अरविंद केजरीवाल की ‘कामकाज’ की राजनीति को चुना है। बीजेपी अपने शीर्ष नेतृत्व सहित इस चुनाव में केवल और केवल खुलकर हिंदुत्व की राजनीति का खेल खेल रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी कार्यकर्ता तक सबने मिलकर चुनाव को ‘शाहीन बाग बनाम केजरीवाल’ बना दिया था।
प्रधानमंत्री ने स्वयं अपनी सभा में ‘कपड़ों से पहचाने जाते हैं’ जैसी बात कही। फिर अमित शाह ने ‘फूल का बटन ऐसे दबाओ कि शाहीन बाग में झटका लगे’ जैसा असभ्य और सांप्रदायिक भाषण दिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जहरीले भाषण दिए और एक केंद्रीय मंत्री ने तो ‘गोली मारो’ जैसी बातें तक कीं।