ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा है कि बाबरी मस्जिद थी और वह हमेशा रहेगी, क्योंकि एक बार जब कोई मस्जिद एक जगह पर स्थापित हो जाती है, तो वह अनंत काल तक रहती है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा है कि बाबरी मस्जिद थी और वह हमेशा रहेगी, क्योंकि एक बार जब कोई मस्जिद एक जगह पर स्थापित हो जाती है, तो वह अनंत काल तक रहती है। बोर्ड ने अपने एक बयान में कहा, “हम वही कह रहे हैं जो शरीयत कहता है।” यह बयान अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन से कुछ घंटे पहले आया है। उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की अनुमति देना सुप्रीम कोर्ट का नवंबर 2019 का फैसला ‘अन्यायपूर्ण और अनुचित’ था।
बयान में आगे कहा गया, “बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद रहेगी। हागिया सोफिया हमारे लिए एक महान उदाहरण है। एक अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण फैसले द्वारा भूमि का रद्दीकरण इसकी स्थिति को बदला नहीं जा सकता है। दिल तोड़ने की जरूरत नहीं है। परिस्थिति हमेशा एक सी नहीं रहती है। यह राजनीति है।”
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा, “हम हमेशा से इसी बात पर टिके रहे हैं कि बाबरी मस्जिद को कभी भी किसी मंदिर या किसी हिंदू पूजा स्थल को ध्वस्त करके नहीं बनाया गया था।” बयान में आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया कि 22 दिसंबर, 1949 को मस्जिद में मूर्तियों को रखना एक गैरकानूनी कार्य था। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्वीकार किया कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक गैरकानूनी, असंवैधानिक और आपराधिक कृत्य था।
वली ने आगे कहा, “यह वास्तव में पछतावा करने वाला है कि इन सभी तथ्यों को स्वीकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अन्यायपूर्ण फैसला करते हुए मस्जिद की भूमि को उन लोगों को सौंप दिया जिन्होंने मस्जिद में आपराधिक तरीके से मूर्तियों को रखा था और इसके आपराधिक विध्वंस के पक्ष में थे।” उन्होंने आगे कहा, “बाबरी मस्जिद पहले भी एक मस्जिद थी, आज भी मस्जिद है और हमेशा मस्जिद रहेगी।”